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ये थे आरोप – ओपन हार्ट सर्जरी कर मरीज के दिल में छोड़ दी कैंची

आरोप निराधार, हमारे पास पुख्ता प्रमाण : डॉक्टर चित्तौड़ा

*आरोप निराधार : डॉक्टर चित्तौड़ा*
*ये थे आरोप – ओपन हार्ट सर्जरी कर
मरीज के दिल में छोड़ दी कैंची*

गत दिनों जेएलएन मार्ग जयपुर स्थित
फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टरों
पर गंभीर आरोप लगे। एक रिटायर्ड
टीचर की ओपन हार्ट सर्जरी के
दौरान सर्जिकल सीजर (कैंची)
शरीर के अंदर छोड़ दी। सर्जरी के 12 दिन बाद ही मरीज की
मौत हो गई। परिजनों ने अंतिम
संस्कार कर दिया, लेकिन जब
अस्थियां चुनने श्मशान गए तो
वहां राख में से अस्थियों के साथ स्टील की कैंची मिली तो होश उड़ गए। सारा माजरा एक पल
में समझ आ गया। ओपन हार्ट
सर्जरी डॉ. राकेश चित्तौड़ा ने की थी। आरजीएचएस में बुजुर्ग का
इलाज कवर करने का सिर्फ
दिखावा किया। डॉक्टर ने अलग
से 4 लाख रुपए कैश लिए थे।
इलाज के लिए एनआरआई बेटे ने दुबई से जयपुर आकर डॉक्टरों
को 4 लाख कैश दिए, तब ओपन
हार्ट सर्जरी हुई थी। परिजनों का
डॉक्टरों पर से विश्वास ही उठ
गया।
मृतक के बेटे ने लापरवाही से पिता की जान जाने की पुलिस
कंप्लेन जवाहर सर्किल थाने में लिखाई । सबूत के तौर
पर श्मशान की राख में मिली
सर्जीकल सीजर (कैंची) को भी लकड़ी से उठाकर पॉलीथिन में लपेट पुलिस को सौंप दी।
मानसरोवर में 73/116 निवासी उपेन्द्र कुमार शर्मा पिछले माह
रिटायर्ड टीचर घर से दूध लेने निकले थे, अचानक
सांसें फूल गई। टैगोर हॉस्पिटल
में दिखाया तो डॉक्टर ने हार्ट की
दिक्कत बताकर हायर सेंटर ले
जाने की सलाह दी। परिजनों ने फोर्टिस में दिखाया। इस बीच
दुबई से बेटे भी जयपुर आ गए। फोर्टिस हॉस्पिटल जेएलएन मार्ग के डॉ. राकेश चित्तौड़ा ने 30
मई को उपेन्द्र शर्मा की बायपास
सर्जरी कर दी। 12 जून की रात उनका निधन हो गया।
परिजनो ने सोचा
ओपन हार्ट सर्जरी के बाद तो मरीज ठीक होता है, डेथ कैसे हो गई?
परिजन अस्थियां चुनने मोक्षधाम गए। राख पर थोड़ा
सा पानी छिड़का तो अस्थियों
के बीच हॉस्पिटल की सर्जीकल सीजर (कैंची) नजर आई। कैंची आग में जलकर काली पड़ गई। चिता के साथ जली हुई है।
*उपरोक्त शिकायत के बारे में डॉ राकेश चित्तौड़ा का कहना है कि*
चिकित्सकों और अस्पताल प्रबंधन ने कोई भी गलती नहीं की है। सारा ऑपरेशन प्रोटोकॉल के अंतर्गत होता है। जो भी उपकरण ऑपरेशन के दौरान काम में लिए जाते हैं वह काउंटिंग से दिए जाते हैं और ऑपरेशन होने के बाद में काउंटिंग से ही संभाले जाते हैं। एक छोटा सा गौज का टुकड़ा भी अगर मिसिंग पाया जाता है तो उसकी खोज की जाती है। ऑपरेशन के बाद मरीज एकदम स्वस्थ था , उसकी कई बार एक्स-रे की गई कहीं अगर कोई कैंची इत्यादि शरीर के अंदर होती है तो एक्सरे में पकड़ में आ जाती है। यह मेडिकल साइंस है भगवान की मर्जी के ऊपर नहीं चल सकती। हमने ऑपरेशन में किसी प्रकार की कोई चूक नहीं की। हमारे पास सारे पुख्ता प्रमाण मौजूद है और यह कैंची जो उन्होंने सबूत के तौर पर दिखाए जो कि सर्जिकल कैंची नहीं है। इस तरह की कैंची सर्जिकल में काम नहीं ली जाती है यह कैंची उस प्रकार की कैंची है जो बाल काटने के लिए नाई काम में लेते हैं।
मरीज के परिजनों को इस तरह की शिकायत करने से पहले 100 बार विचार करना चाहिए कि हम निराधार आरोप लगा कर के किसी चिकित्सक का कैरियर खराब कर रहे हैं उसकी वर्षों की साख को धूमिल कर रहे हैं।
संपर्क सूत्र डॉ राकेश चित्तौड़ा मो 9784542601

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