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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
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जानिए 6 माह से कम उम्र के बच्चों को बिना चिकित्सा के सलाह के इलाज करने पर क्या- क्या दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं 

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जानिए 6 माह से कम उम्र के बच्चों को बिना चिकित्सा के सलाह के इलाज करने पर क्या- क्या दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं 

रोग के निदान और इलाज के प्रति जागरुकता जरूरी आज भी हमारे देश में ग्रामीणों में रोग के निदान और इलाज के प्रति जागरूकता का अभाव है।

हमारे देश में बिना मेडिकल एम बी बी एस की डिग्री लिए अनेक नीम हकीम रोग का इलाज करते नजर आएंगे। उन्हें रोग के बारे में पूरा ज्ञान नहीं होता है तो इलाज के तरीके का भी पूरा ज्ञान नहीं होता है।

उक्त विचार व्यक्त करते हुए पलसानिया हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉक्टर एस के पलसानिया ने बताया कि

शीघ्र इलाज के चक्कर में यह लोग रोगियों को अनचाहे स्टेरॉयड गैर व्यावहारिक तरीके से दे देते हैं, जिससे उन्हें भविष्य में घातक बीमारियां उपहार में मिलती हैं जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का कमजोर हो जाना अनियमित मासिक धर्म, मसल क्रेम्प क्रीम यानी अंगों में ऐंठन, वजन का बढ़ना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना आदि।

अभी हाल ही उनके पास में अलवर क्षेत्र से एक मरीज बुखार कमजोरी और पेट दर्द की शिकायत लेकर के आया था उसने अनेक क्लिनिको पर इलाज लिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमने उसे ब्लड इन्वेस्टिगेशन के लिए कहा तो उस रोगी ने पेट दर्द में ब्लड इन्वेस्टिगेशन उसे आश्चर्य हुआ लेकिन हमने फिर भी उसका ब्लड इन्वेस्टिगेशन करके जांच में पाया कि उसकी टीएलसी 18 लाख थी जो कि एक ब्लड कैंसर का संकेत देती है।

इसके अलावा उनके पास ऐसे अनेक मरीज सामने आए जो सामान्य खांसी जुकाम की बीमारी में स्टेरॉयड प्रेडिनासोल और एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते पाए गए उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में विशेष प्रॉपर डोजेस का साथ उपचार होना चाहिए अन्यथा उन्हें कई बीमारियां बाद में आ सकती है।

6 माह से कम बच्चों को योग्य विशेषज्ञ की सलाह के बिना दवाइयां बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए

6 माह से कम बच्चों को सेट्रीजाइन नहीं दी जाती है।

6 माह से कम उम्र के बच्चों को न देने वाली दवाएं:

1. एंटीबायोटिक्स :

6 माह से कम उम्र के बच्चों को वायरल संक्रमण के अंतर्गत एंटीबायोटिक्स नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इनका कोई विशेष प्रभाव नहीं होता है बल्कि दुष्प्रभाव में ये बच्चे में एलर्जी या अन्य साइड इफेक्ट पैदा कर सकते हैं।

केवल गंभीर बैक्टिरियल इन्फेक्शन यानी जीवाणु संक्रमण के केसेज में ही डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक्स दी जानी चाहिए।

2. खांसी और सर्दी की दवाएं :

6 माह से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं बिना सलाह के नहीं दी जानी चाहिए। इन दवाओं का प्रभाव कम होता है और ये बच्चे में गंभीर साइड इफेक्ट पैदा कर सकती हैं।

खांसी और सर्दी से राहत के लिए घरेलू उपचार जैसे कि नाक की सफाई, गर्म पानी से स्नान, और तरल पदार्थों का सेवन ज़्यादा फायदेमंद होते हैं।

3. दर्द निवारक दवाएं :

6 माह से कम उम्र के बच्चों को दर्द निवारक दवाएं जैसे कि एस्पिरिन, ibuprofen, या acetaminophen नहीं दी जानी चाहिए।

दर्द से राहत के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारित paracetamol (बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार) सीमित मात्रा का ही उपयोग किया जाना चाहिए।

4. एंटीहिस्टामाइन :

6 माह से कम उम्र के बच्चों को antihistamine एंटीहिस्टामाइन दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।

एलर्जी के लक्षणों से राहत के लिए योग्य चिकित्सक ही दवा निर्धारित करता है।

यदि आपके बच्चे को कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

ध्यान रखें :

बच्चों को दवाएं हमेशा डॉक्टर द्वारा निर्धारित मात्रा में ही देनी चाहिए।

बच्चों की पहुंच से दवाओं को दूर रखना चाहिए।

दवाओं की एक्सपायरी डेट यानी समाप्ति तिथि का ध्यान रखें।

अपने बच्चे को कोई भी दवा देने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।

6 माह से कम बच्चों को कभी न डांटे उन्हें हमेशा बहुत स्नेह से लाड़ से प्यार से व्यवहार करें ममता भरी भाषा में समझाएं यही बच्चों की भाषा है बच्चे जिसके पास सुरक्षित महफूज सुरक्षित करते हैं उन्हीं के पास रहना पसंद करते हैं।

अभी मैंने एक रोगी का बच्चा अपनी गोदी में लिया और उसे बहुत लाड प्यार किया ममता भरी भाषा में बात की उसका यह परिणाम सामने आया कि वह कुछ समय बाद अपने मां-बाप के पास उनकी गोदी में जाने को तैयार नहीं था।

6 माह से कम उम्र के बच्चे को कभी जोर से या धीरे से भी ना डांटे

संपर्क सूत्र : डॉक्टर एस के पलसानिया मो 9468764351

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