दिव्यांग और शारीरिक अपंगता के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का काम करते हैं हर गोविंद पचौरी।
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दिव्यांग और शारीरिक अपंगता के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का काम करते हैं हर गोविंद पचौरी।
उपकरण डिजाइन करना कंफर्टेबल बनाना और करेक्शन करना है इनके केंद्र सिनर्जी आर्टिफिशियल लिंब सेंटर का है मुख्य ध्येय।
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हरगोविंद पचौरी ने जब 12वीं की पढ़ाई पूरी की तो पढ़ाई करने के बाद अपने कैरियर की तलाश में थे तो उनकी इस तलाश के दौरान नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर उड़ीसा का विज्ञापन सामने आया। उन्होंने अपने कैरियर की तलाश में पहली बार एंट्रेंस एग्जाम का यह विज्ञापन देखा था और इस इंस्टीट्यूट की प्रोफाइल पढ़ने से पता चला कि यह इंस्टीट्यूट दिव्यांग और शारीरिक अपंगता से ग्रस्त लोगों के लिए उनको आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण देता है। और यहां कृत्रिम अंग और प्रत्यंगो की सहायता से शारीरिक अपंगता को दूर करने का शोध कार्य होता है तो मुझे लगा यह एक पुण्य का काम है। मैंने इस कॉलेज में एडमिशन ले लिया। यहां मैंने सीखा घुटने के लिए पोलियो के लिए पैरालिटिक पेशेंट के लिए स्पोर्ट्स इंजरी के रोगियों के लिए जन्मजात विकलांगता के लिए कैलिपर बनाना।
साथ ही टेढ़े-मेढ़े हाथ पांव को कैसे सही किया जाए उसकी तकनीक भी सीखी।
इस 4 साल 6 माह के कोर्स को पूरा करने के बाद मैंने 2008 में सिनर्जी आर्टिफिशियल लिंब सेंटर की स्थापना की।
इस केंद्र में सभी प्रकार के कृत्रिम अंग और प्रत्यंग बनाए जाते हैं।
रोगियों को उनकी आवश्यकतानुसार अंग के मुताबिक उपकरणों को डिजाइन किया जाता है उनको किस प्रकार आराम मिले यह विश्लेषण किया जाता है और दैनिक दिनचर्या में वे कैसे सक्षम बने यह काम इस केंद्र में किया जाता है।
इस केंद्र में दुनिया भर में प्रचलित एडवांस तकनीक का इस्तेमाल होता है।
अब लोगों को इस तरह के उपकरणों के लिए जयपुर से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। यहां पर कृत्रिम हाथ पैर अंगूठा ऊंगली आंख नाक कान इत्यादि अंग प्रत्यंग बनाए जाते हैं। हमारी इस क्षेत्र में विशेषज्ञता को 15 साल हो चुके हैं। हमें राजस्थान भर से प्लास्टिक सर्जन ऑर्थोपेडिशियन डायबीटिक फुट विशेषज्ञ न्यूरोसर्जन स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट रिहैबिलिटेशन स्पेशलिस्ट ऑपरेशन के बाद लोगों को आत्म निर्भर बनाने के लिए अंग प्रत्यंग के लिए अनुमोदित करते हैं।
संपर्क सूत्र : हरगोविंद पचौरी मो 9351979140