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धमनियों में सिकुड़न हो तो न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह से ले बीपी की दवा,: डॉ भूटानी

यह विशेष स्ट्रोक उन मरीजों में देखा गया जिन्हें डिहाईड्रेशन तथा लो ब्लड प्रेशर की शिकायत थी।

जयपुर के न्यूरोलॉजी शोध की राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति एव सराहना
धमनियों में सिकुड़न हो तो सावधानी से ले बीपी की दवा,: डॉ भूटानी
जयपुर। जयपुर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नीरज भूटानी के बॉर्डरजोन स्ट्रोक पर किए गए शोध को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। बॉर्डरजोन स्ट्रोक को लेकर इतनी बड़ी संख्या में मरीजों पर किया गया भारत का यह पहला शोध है। विश्व में भी बॉर्डरजोन स्ट्रोक पर कुछ गिने-चुने शोध ही है जो इतने मरीजों पर किए गए हैं।
डॉ. भूटानी ने बताया कि एक विशेष तरह के स्ट्रोक, बोर्डरजोन स्ट्रोक पर उनके शोधपत्र को इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी) के जर्नल में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। इस शोधपत्र को अकादमी द्वारा कॉमेन्ट्री और पॉडकास्ट के लिए भी चुना गया। यह शोध डा. भूटानी के नेतृत्व में संतोकबा दुर्लभ जी हस्पताल, जयपुर में किया गया।
इस शोधपत्र के लिए संतोकबा अस्पताल में स्ट्रोक के कारण लकवे से पीड़ित 400 मरीजों पर अध्ययन किया गया। इसमें से बोर्डरजोन स्ट्रोक के 52 मरीज पाए गए।
उल्लेखनीय है कि मस्तिष्क में वाटरशेड या बॉर्डर जोन्स को दो अलग-अलग गैर-एनास्टोमोजिंग धमनी प्रणालियों के बीच क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है। यह अध्य्यन बॉर्डर जोन इन्फ्रेक्ट (बीआई) की नैदानिक और रेडियोलॉजिकल विशेषताओं का पता लगाने के लिए किया गया था। 18 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों का चयन किया गया और उन्हें कोर्टिकल बॉर्डर जोन इन्फ्रेक्ट (सीबीजेड) और इंटर्नल बॉर्डर जोन इन्फ्रेक्ट (आईबीजेड) के दो समूहों में विभजित किया गया। यह अध्ययन सितंबर 2016 से अप्रैल 2018 तक न्यूरोलॉजी विभाग में अध्ययन अवधि के दौरान लगातार उपस्थित होने वाले पात्र 400 एआईएस रोगियों पर आयोजित किया गया।
डॉ. भूटानी ने बताया कि अनुसंधान कार्य शुरू करने से पहले रोगी/कानूनी अभिभावक से लिखित सहमति और संस्थागत नैतिक मंजूरी ली गई थी। अध्ययन के नतीजों में सामने आया कि सीबीजेड और आईबीजेड के क्रमशः 25 फीसद और 75 फीसद रोगियों का स्ट्रोक से पहले प्रीसिंकोप या सिंकोप का इतिहास था। मूल आलेख 22 मार्च 2023 को प्रस्तुत किया गया, 09 मई 2023 को संशोधित रूप से पेश किया गया और 23 जून 2023 को प्रकाशित हुआ।
डॉ. भूटानी ने यह भी बताया कि हमारे अध्ययन में, सीबीजेड समूह में हाइपोटेंशन या हाइपोवोल्मिया के इतिहास वाले मरीज काफी ज्यादा थे। जो यह बताता है कि सीबीजेड में एचडीआई की भूमिका आईबीजेड से कहीं अधिक है। सीबीजेड के 14.3 फीसद रोगियों को छोड़कर, पोस्टुरल हाइपोटेंशन का कोई सबूत नहीं था।
यह विशेष स्ट्रोक उन मरीजों में देखा गया जिन्हें डिहाईड्रेशन तथा लो ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। इस शोध से यह भी सामने आया कि जिन मरीजों की कैरोटिड धमनियां सिकुड़ी हुईं थी, उन्हें बीपी की दवा देने पर इस प्रकार के स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया। बोर्डरजोन स्ट्रोक के इतनी बड़ी संख्या में मरीजों पर किया गया भारत का यह पहला शोध है। विश्व में भी बोर्डरजोन स्ट्रोक पर कुछ गिने-चुने शोध ही है जो इतने मरीजों पर किए गए हैं। इस शोधपत्र में डा. दिव्यांग शाह, डा अनूप रंजन, डा. के के सिंह, डा. प्रिया अग्रवाल तथा डा अभिषेक भार्गव का भी योगदान रहा।
संपर्क सूत्र डॉ नीरज भूटानी मो 98287 11808

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