रेयर डिजीज का पता लगाने के लिए गर्भावस्था में प्रीनेटल जेनेटिक काउंसलिंग जरूरी
आइएसआइईएम-2024
कार्यशाला में देशभर से जुटे चिकित्सा विशेषज्ञ
रेयर डिजीज का पता लगाने के लिए गर्भावस्था में प्रीनेटल जेनेटिक काउंसलिंग जरूरी
जयपुर। रेयर डिजीज का पता लगाने के लिए गर्भधारण करने वाली मां की प्रीनेटल जेनेटिक काउंसलिंग और टेस्टिंग होनी चाहिए।
जिससे गर्भावस्था के दौरान भूरण के आनुवांशिक विकारों का पता लगाया जा सकता है।
यह तथ्य आरआइसी सेंटर में शुरू हुई इनबोर्न एरर्स ऑफ मेटाबॉलिज्म पर आयोजित तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस आइएसआइईएम-2024 में विशेषज्ञों ने कही। आयोजन सचिव डॉ. प्रियांशु माथुर ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने किया।
पहले दिन चार सत्र में पैनल डिस्कशन हुआ, जिनमें वंशानुगत मेटाबॉलिज्म रोग, जटिल अणु मेटाबॉलिज्म विकार, रोगों के निदान, दवाओं व नई तकनीकों पर चर्चा हुई।
सत्र में विशेषज्ञों ने कहा कि हमारे शरीर को एनर्जी से भरपूर बनाए रखने के लिए तमाम पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
ये पोषक तत्व हमें खाने-पीने की चीजों से मिलते हैं। बेहतर डाइट के जरिए लोग इन पोषक तत्वों की सही मात्रा हासिल कर सकते हैं।
हालांकि एनर्जी के लिए शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर रखना जरूरी है। मेटाबॉलिज्म एक केमिकल रिएक्शन है, जो हमारे फूड को एनर्जी में बदलता है। यह सिस्टम बिगड़ जाएं तो शरीर में कमजोरी आ जाती है।
कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञ ने यह कहा कि रेयर डिजीज में खासतौर से लैसो सोमल स्टोरेज डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों की जिंदगी बहुत तकलीफ देह होती है और यह डाय फंक्शनल एंजाइम्स की वजह से होता है कई बार यह डिसऑर्डर क्रॉनिक हो जाते हैं इससे मरीज की आगे की जिंदगी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
संपर्क सूत्र डॉ प्रियांशु माथुर mo 07597921472