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कुछ संकेत जो बताते है आपके शिशु के देखभाल की जरूरत को

dr rohit gupta # pediatrician 9214342340

पहचानें आपका शिशु जन्म के तुरंत बाद स्वस्थ है या नहीं
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नवजात शिशु होता है मौन उसकी गतिविधियों पर नजर रख कर की जाती है केयर

डिलीवरी के बाद के पहले 6 हफ्ते मां और शिशु दोनों के लिए ही बहुत नाजुक होते हैं। प्रसव के बाद महिलाओं का शरीर कमजोरी से लड़ रहा होता है और साथ ही शिशु की देखभाल के लिए भी तैयार हो रहा होता है। वहीं नन्‍हा शिशु अभी भी गर्भ से बाहर के वातावरण में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा होता है।
इस बारे में द चिल्ड्रन क्लीनिक के निदेशक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रोहित गुप्ता का कहना है कि
ऐसे में शिशु के आगामी विकास के लिए उसकी देखभाल सावधानी से करनी जरुरी है। एक स्वस्थ शिशु का जन्म के समय आदर्श वजन 2.5 किग्रा से 3.5,किग्रा होना चाहिए। शिशु का गर्भकाल 37 से 40 सप्ताह का होना चाहिए।
शिशु बोल नहीं सकता लेकिन संकेत दे देता है हमे ही संकेतो के आधार पर उसकी केयर करनी पड़ेगी।
हम शिशु के स्वास्थ्य को उसकी गतिविधियों पर नजर रख उसकी देखभाल कर सकते है।
शिशु के मल मूत्र उल्टी पर नजर रखनी चाहिए।

आमतौर पर पहले 24 घंटों में खून से संबंधित कुछ दुर्लभ विकारों से बचाने के लिए शिशु को विटामिन के का इंजेक्‍शन दिया जाता है। जन्‍म के बाद शिशु को पीलिया होने का खतरा रहता है जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। यदि ठीक न हो तो चिकित्सकीय परामर्श मे विलम्ब नहीं करना चाहिए। इसलिए इसकी भी जांच की जाती है।

पीलिया का कोई भी लक्षण दिखने पर शिशु को जरूरी उपचार दिया जाता है।

शिशु के पहले मल यानि मेकोनियम पर भी ध्‍यान देना चाहीए।

यदि शिशु पहले 24 घंटों में मल त्‍याग नहीं करता है, तो उसकी जांच की जाती है।
शिशु एक दिन में लगभग 5 बार मूत्र व मल त्याग कर रहा है व हर 2 घंटे मे भूख लग रही है तथा सुस्त नहीं है और फीवर नहीं है तो आपका शिशु स्वस्थ है।
यदि कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या न हो, तो शिशु को बीसीजी वैक्‍सीन लगाई जाती है।
जन्‍म के बाद पहले एक घंटे के अंदर ही शिशु को स्‍तनपान करवाना शुरू कर देना चाहिए। उसके बाद उसको सीने से लगाकर हलके से पीठ थपथपा देनी चाहिए। इससे शिशु की पाचन प्रक्रिया सक्रिय व उत्तेजित होती है। मां का पहला दूध यानि कोलोस्ट्रम शिशु को कई तरह के इंफेक्‍शन से बचाता है। कुदरत ने मां के दूध मे शिशु के लिए इतना पौष्टिक खजाना दिया है कि उसे किसी अन्य बाहरी खाद्य व पेय पदार्थ की जरूरत नहीं। 6 माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहीए यह शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है।

आपका शिशु स्वस्थ है या नहीं कैसे पहचानें
1 एक्टिविटी – बिल्कुल सुस्त न हो, सिजर्स न आ रहे हो, शरीर मे लाल लाल दाने न हों, ज्यादा मोशन न हो, ज्यादा वोमिट न हो।
2. एक दिन में 5 बार से अधिक मूत्र विसर्जन आम बात है।
3. हर 2 घंटे में फीडिंग की डिमांड सामान्य है।
4. फीवर नहीं रहना चाहिए।
इन बातो पर ध्यान रखें आपका शिशु स्वस्थ रहेगा।
एक विशेष बात शिशु का एक वर्ष से पहले मुंडन नहीं करवाना चाहिए।
आंखो मे काजल नहीं लगाना चाहीए।
कोई असामान्य हरकतों पर इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।
झाड़े के चक्कर में इलाज लेने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
संपर्क सूत्र
Dr Rohit Gupta
Director- The Children’s Clinic, Railway Colony, Jagatpura
Contact 9214342340

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