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key hole heart surgery दूरबीन से किए जाने वाली हार्ट सर्जरी परंपरागत बाईपास सर्जरी से अधिक फायदेमंद

बिना हड्डी काटे दूरबीन से हार्ट की सर्जरी by Dr Lalit Malik Cardio Surgeon

हार्ट के अंदर से ही बिना हड्डी काटे दूरबीन से की सर्जरी

दूरबीन से किए जाने वाली हार्ट सर्जरी परंपरागत बाईपास सर्जरी से अधिक फायदेमंद

जयपुर : राजस्थान में पहली बार हार्ट की चारों धमनियों के ग्राफ्ट छाती के अंदर से ही लेकर सर्जरी कर स्थापित किया कीर्तिमान। हाल ही जयपुर मणिपाल हॉस्पिटल ने पंजाब निवासी 53 वर्षीय राम प्रकाश की को नया जीवन दिया है।
मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. ललित मलिक ने बताया कि पंजाब के फाजिल्का जिला ग्राम दौलतपुरा मरीज राम प्रकाश मुझसे परामर्श लेने जयपुर आया। मरीज की पुरानी जांच देखने व फिजिकली जांच करने पर पता लगा कि उनके हार्ट की चारों मुख्य धमनियां 90 प्रतिशत से अधिक ब्लॉक है और उनके उपचार का एकमात्र रास्ता हार्ट भी बायपास सर्जरी है। एंजियोप्लास्टी नहीं हो सकती है।

डॉक्टर मलिक से दूरबीन द्वारा हार्ट सर्जरी करने के बारे में प्रश्न किया कि परंपरागत ओपन हार्ट सर्जरी और दूरबीन हार्ट सर्जरी में क्या फर्क है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों तरीके से किए गए ऑपरेशन में सर्जिकल परिणाम एकदम समान है। फर्क है तो रोगी को मानसिक तनाव कम होता है रिकवरी तुरंत होती है ब्लड का लॉस कम होता है। आईसीयू में ठहराव कम होता है। कोई हड्डी नहीं काटने से केलॉइड नहीं बनता है। स्कार नहीं आता। घाव में इन्फेक्शन की संभावना नहीं है। दैनिक दिनचर्या अपनी शीघ्र ही आसानी से शुरू कर सकता है। इन सब फायदाओं के बाद हमने उनसे खर्चे के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि परंपरागत तकनीक से यह तकनीक केवल 20% महंगी है लेकिन यदि तुलना की जाए तो यह रोगी के इतने फायदे देखते हुए क्षतिपूर्ति के रूप में अत्यंत सस्ती पड़ती है।

डॉ. मलिक ने बताया कि वह दूरबीन से हार्ट की सर्जरी पहले भी करते आये है। लेकिन यह सर्जरी अपने आप में बिल्कुल अलग है। इसमे हार्ट की चारों मुख्य धमनियों के ब्लॉकेज को दूरबीन की सहायता से एक साथ दूर किया है व साथ ही ग्राफ्ट भी छाती के अन्दर से ही लिया गया। इस तरह दूरबीन द्वारा अन्दर से ही चारों ग्राफ्ट लेकर करने वाली यह राजस्थान की प्रथम सर्जरी है। अमूमन एक या दो ग्राफ्ट ही छाती से लेकर सर्जरी की जाती है बाकी के ग्राफ्ट पांव की नसों से लिये जाते है। उन्होंने कहा इस सर्जरी में चारों ग्राफ्ट हार्ट के अंदर से ही लिये है। जो कि आज तक किसी ने राजस्थान में इस प्रकार की सर्जरी में नहीं लिये है।
डॉ. मलिक का कहना है कि इस सर्जरी में मरीज की किसी भी हड्डी को काटा नहीं गया है। पसलियों के बीच में मात्र एक दो इंच का छेद करके हार्ट की पूर्ण सर्जरी की गई है जो कि मरीज की जल्दी रिकवरी सुनिश्चित करती है। साथ ही हार्ट से लिए गये चारों ग्राफ्ट भी मरीज की धमनियों का ज्यादा व गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करते है। सामान्यतया पैरों की नसों से लिया गया ग्राफ्ट की लाईफ 10 से 12 साल की होती है व दूसरी और इस प्रकार छाती के अंदर से लिये ग्राफ्ट की लाईफ 20 से 25 साल होती है।
मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के डायरेक्टर रंजन ठाकुर कहते है कि यह राजस्थान का संभवतया पहला मामला है और हमे डॉक्टर मलिक की इस उपलब्धि पर गर्व है। डॉक्टर मलिक ने इस तरह की सर्जरी में न केवल राजस्थान में बल्कि देश के मानचित्र पर अपना स्थान बनाया है। संपर्क सूत्र : डॉक्टर ललित मालिक मो 99998 81426

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