भेलवाः बढ़ती है भूख बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के जंगलों में मिलने वाले कई महत्वपूर्ण पेड़ों में से एक, “भेलवा” अब औषधि निर्माण इकाइयों तक पहुंचने के लिए तैयार है। वजह सिर्फ एक है, वह यह कि इसके फल और बीज में कई औषधीय गुणों के होने की जानकारी मिली है।
बढ़ाता है भूख, और रोग प्रतिरोधक क्षमता। जी हां, नाम है भेलवा। यह एक देसी फल है। वैसे तो मिलता है, पूरे प्रदेश में लेकिन गरियाबंद जिले में इसकी जैसी बहुतायत है, वैसी कहीं नहीं। आदिवासियों के बीच कई बीमारियों के लिए रोकथाम में मदद करने वाले भेलवा के फल पर जब अनुसंधान हुए तो इसमें हैरान करने वाली जानकारी मिली। इसके बाद, अब यह औषधि निर्माण इकाइयों में अपनी पहुंच बनाने के लिए तैयार है।
फल है इम्यूनिटी बूस्टर
फल के सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है। आंत और सांस की समस्या भी दूर होती है। इसके साथ ही रक्त संचार को नियमित रखता है और भूख भी बढ़ाता है। इसे पाइल्स के लिए भी कारगर पाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि, इसमें हैजा को भी खत्म करने के गुण हैं।
त्वचा रोग के लिए भी
फल और बीज में भरपूर मात्रा में औषधि गुण से भरपूर तेल भी होते हैं। इसे गर्म करने के बाद सुई की मदद से तेल निकाला जाता है। जिसे सुई की ही सहायता से पीड़ा और त्वचा रोग वाली जगह पर लगाना होता है। बताते चलें कि यह आदिवासियों के बीच लोकप्रिय विधि है और इसकी मदद से त्वचा रोग और पीड़ा से आराम भी मिलता है।
तासीर है गर्म
भेलवा की तासीर गर्म होती है। इसलिए सीधे इस्तेमाल या सेवन से बचने की सलाह वानिकी वैज्ञानिकों ने देते हुए कहा है कि चिकित्सकीय परामर्श और सलाह के बाद ही संतुलित मात्रा और उपयुक्त मिश्रण के साथ ही इसका सेवन किया जाना सही होगा।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों में यह पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके फल से निकला तेल, मुख्य रूप से हाथ और पैर की मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने के लिए इस्तेमाल होता है। फल को आग में गर्म करके सुई चुभोई जाती है, जिससे इसका तेल निकल आता है। उपयोग से पूर्व चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर