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जरूरी या गैर जरूरी इलाज

मुनाफे के लिए अमेरिका की कुछ कंपनियां डॉक्टर्स, क्लीनिकों के साथ करती है गठबंधन

जरूरी या गैर जरूरी इलाज

मुनाफे के लिए अमेरिका की कुछ कंपनियां डॉक्टर्स, क्लीनिकों के साथ करती है गठबंधन

आश्चर्य हुआ कि गैरजरूरी इलाज पर दौलत कमाने के लालच में ऐसा भी कार्य करते हैं अमेरिका के कुछ डॉक्टर।

केटी थॉमस, जेसिका सिल्वर, रॉबर्ट गेबेलॉफ की रिपोर्ट के आधार पर

केटी हन्ना का पांव 2020 में काटना पड़ा था। स्वयं को लेग सेवर कहने वाले मिशिगन, अमेरिका के एक डॉक्टर द्वारा धातु के तार डालकर उनकी रक्त शिराओं में प्लाक को साफ करने के चक्कर में क्षतिग्रस्त हो गए थे।
गौतलब है कि डॉ. मुस्तफा ने 18 माह तक हन्ना के पैर में आर्टरी खोलने का इलाज किया। हन्ना को बताया जाता था कि इससे पांव में रक्त प्रवाह सुधरेगा और पैर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।.
डॉक्टरों को मिसेज हन्ना की जान बचाने के लिए उनका पैर काटना पड़ा। उनके अलावा ऐसे कई मरीजों को अपना पांव गंवाना पड़ता है।

बताया जाता है कि नजदीकी अस्पतालों के सर्जनों ने डॉ. मुस्तफा के मरीजों के संबंध में मिशिगन मेडिकल बोर्ड से डॉक्टर की शिकायत की है। उनके खिलाफ “जांच चल रही है।
प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि एक इंश्योरेंस कंपनी ने राज्य के अधिकारियों को बताया कि पिछले चार वर्ष में उक्त डॉक्टर के क्लीनिकों में इलाज (आर्टरी की सफाई की प्रोसीजर) के बाद 45 लोगों को अपने पैर गंवाना पड़े ।
डॉ. मेडिकल डिवाइस निर्माताओं की मदद से लाखों अमेरिकियों का जोखिम भरा इलाज करने की कॉटेज इंडस्ट्री के अगुआ हैं। बड़ी संख्या में डॉक्टर यह प्रोसीजर करते हैं। इन मेडिकल प्रक्रियाओं से डॉक्टर और डिवाइस कंपनियां तो अपार दौलत कमा रही हैं। लेकिन मरीजों के लिए गैर जरूरी इलाज पर भी इलाज कर इस प्रकार से दौलत कमाना कहां तक सही है।
हेल्थ कंपनियों और डॉक्टरों की सांठगांठ से चल रही इंडस्ट्री के निशाने पर पेरिफेरल आर्टरीज बीमारी से पीड़ित लगभग एक करोड़ बीस लाख अमेरिकी हैं। इस बीमारी में पैर की रक्त शिराओं में फैट, कैल्शियम जमा हो जाता है। लंबी मेडिकल रिसर्च से पता लगा है कि पेरिफेरल आर्टरी डिसीज के शिकार अधिकतर मरीजों को एक्सरसाइज और दवाइयों के अतिरिक्त किसी अन्य इलाज की जरूरत नहीं रहती है।

कुछ डॉक्टर प्लाक को आर्टरीज के किनारे करने की प्रक्रिया के अंतर्गत मेटल स्टेंट्स या नायलॉन बैलून डालते हैं। कुछ डॉक्टर एथीरेक्टोमीज प्रक्रिया करते हैं। इसके तहत सूक्ष्म ब्लेड लगे वायर या लेसर को आर्टरीज के भीतर डालकर प्लाक हटाते हैं।
प्रकाशित रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मेडिकल रिसर्च के अनुसार पेरिफेरल आर्टरी डिसीज से पीडित मरीज यदि इस प्रकार का प्रोसीजर कराते हैं तो उनका पैर काटने की आशंका अधिक रहती है। अमेरिका में एथीरेक्टोमीज का इस्तेमाल पिछले दशक में तेजी से बढ़ने के दो कारण हैं।
*पहला* – सरकार द्वारा मेडिकेयर के तहत डॉक्टरों को एथीरेक्टोमीज प्रोसीजर के लिए पैसा दिया जाना।
*दूसरा* – आर्टरी की सफाई करने वाली प्रोसीजर के उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने इस क्षेत्र में बहुत पैसा लगाकर एक बड़ा बाजार तैयार कर दिया।
इस कारण बहुत डॉक्टरों ने अपनी स्वयं की आउटपेशेंट क्लीनिक खोल ली हैं। एक एथीरेक्टोमीज प्रोसीजर के लगभग आठ लाख रुपए या उससे ज्यादा लिए जाते हैं।
दस साल पहले पेरिफेरल आर्टरीज डिसीज के क्लीनिक लगभग नहीं के बराबर थे। आज इनकी संख्या 1800 से अधिक है।
प्रकाशित रिपोर्ट में उल्लेख है कि आंकड़े कहते है 2017 से 2021 के बीच सरकारी मेडिकेयर से एथीरेक्टोमी के लिए 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक पेमेंट हुआ है। इसमें से आधा पैसा 200 बड़े डॉक्टरों को ही मिला है। प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों का पेमेंट इससे कई गुना ज्यादा है।
गैरजरूरी प्रोसीजर के लिए कुछ डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस ने डॉ. मेकगकिन पर पेरिफेरल आर्टरी डिसीज के मरीजों पर 500 से अधिक गैरजरूरी प्रोसीजर करने के लिए मुकदमा भी दायर किया है।
‘ यह रिपोर्ट पढ़कर इतना आश्चर्य हुआ कि गैरजरूरी इलाज पर दौलत कमाने के लालच में ऐसा भी कार्य करते हैं कुछ डॉक्टर। ‘
The New York Times में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उक्त भाव।
डी बी 17 जुलाई 2023 पेज 14 पर भी प्रकाशित है ये रिपोर्ट।

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