दस गावों में नहीं हो पा रहीं रजिस्ट्रियां एनएचएआई साल भर से नहीं दे पाया चिन्हित खसरों की जानकारी
जबलपुर। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) द्वारा रिंग रोड के लिए विभिन्न गांवों में भू-अधिग्रहण लगभग पूरा हो चुका है। बावजूद इसके एनएचएआई के अफसरों द्वारा अब तक अनेक खसरों की जानकारी प्रशासन के अन्य संबंधित विभागों को उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। इस वजह से शहर की सीमा से लगे 10 गांवों में जमीनों के क्रय-विक्रय का काम अटका हुआ है। करीब साल भर से एनएचएआई और पंजीयन विभाग के बीच खसरों की जानकारी को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकल पाया है।
रिंगरोड के लिए 496 हैक्टेयर भूमि की जानी थी अधिग्रहित
तीन हजार करोड़ रुपयों से अधिक की लागत से बनने वाली 108 किलोमीटर के रिंग रोड के लिए 96 गांवों की 496 हैक्टेयर भूमि ली जाना थी। जिन गांवों के चिन्हित खसरों की जानकारी एनएचएआई की ओर से साझा नहीं की गई है वहां जमीनों के क्रय-विक्रय पर अब भी राेक लगी हुई है। एनएचएआई ने शुरूआत में ही 79 गांवों की अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित भूमि के खसरे जारी कर दिए थे। इसके बाद सात गांवों की जानकारी और जारी कर दी गई। जिससे उन गांवों में शेष जमीनों के क्रय-विक्रय पर लगी रोक हट गई। इसके बाद से ठंडे बस्ते में पड़े 10 गांवों के खसरों की जानकारी अब तक साझा नहीं की गई है।
इन गांवों में लगी हुई है रोक
प्रस्तावित रिंग रोड से लगे जिन 10 गांवों के खसरे जारी नहीं किए हैं उनमें जबलपुर तहसील के जुनवानी, परतला, महगवां, रिछाई, इंद्रा, कलगौड़ी, पिपरिया, कुंडम तहसील के लहुकरी, महगवां, किवलारी शामिल हैं।
अनेक बार लिखा जा चुका पत्र
खसरों की जानकारी के लिए पंजीयन विभाग के अफसरों की ओर से एनएचएआई के जिम्मेदारों काे अनेक बार पत्र लिखा जा चुका है। उनसे सतत चर्चा भी की जा रही है, लेकिन वो अज्ञात कारणों के चलते 10 गांवों के चिन्हित खसरों की जानकारी साझा करने में टालमटोली कर रहे हैं।
लोगाें को हो रही परेशानी
जिन गांवों में खरीद-फरोख्त पर रोक लगी है, वहां के रहवासियों को अनेक तरह की परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है। परतला निवासी सुशरल पटैल बताते हैं कि उनको बिटिया की शादी के लिए पैसों की जरूरत है। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए वो अपनी थोड़ी सी जमीन बेचना चाहते हैं, लेकिन रोक की वजह से वो जमीन बेच नहीं पा रहे। इसी तरह से महगवां निवासी सुंदर लाल का कहना है कि उसे भी पैसों की जरूरत है और वो जमीन बेचना चाहता है, रजिस्ट्री पर रोक लगी होने की वजह से लोग उसकी जमीन का सौदा माटी मोल कर रहे हैं।
इनका कहना है..
जिले के 10 गांवों में जमीन के क्रय-विक्रय पर रोक लगी हुई है। इन गांवों की जमीन रिंग रोड के लिए अधिग्रहीत की गई है, लेकिन चिन्हित खसरों की जानकारी अब तक एनएचएआई ने उपलब्ध नहीं कराई है, जिसकी वजह से ऐसी ऐसी निर्मित हुई है। –डा. पीके अहिरवाल, वरिष्ठ जिला पंजीयक