सीवरेज के पानी का करेंगे शोधन
बिलासपुर। अरपा के जल का शुद्धिकरण को लेकर अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण ने कार्ययोजना बनाई है। प्राधिकरण के अंतर्गत चल रहे कार्यों की समीक्षा की गयी। अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण कार्यालय मुंगेली नाका चैक में प्राधिकरण की बैठक उपाध्यक्ष अभय नारायण राय की अध्यक्षता एवं सदस्य नरेंद्र बोलर, महेश दुबे, आशा पाण्डेय की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
बैठक में पचरीघाट बैराज, शिवघाट बैराज तथा स्मार्ट सिटी के अंतर्गत तट संवर्धन एवं अरपा कैचमेन्ट एरिया में वन विभाग के अंतर्गत चल रहे कार्यों की समीक्षा की गयी। पचरीघाट एवं शिवघाट बैराज की जानकारी देते हुए खारंग के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि अभी तक 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका हैं। पचरीघाट बैराज पर स्लैब की ढलाई तकरीबन पूरी हो चुकी हैं। सभी गेट लगा दिये गये हैं, गेट एवं स्लैब का कार्य 30 पूर्णता की ओर है।
शिवघाट बैराज पर 95 प्रतिशत कार्य पूर्णता की ओर हैं, स्लैब की ढलाई हो चुकी हैं,अमूमन 10 गेट लगा दी गई हैं। बचे 11 गेट एवं कुछ स्लैब की ढलाई भी इस महीने पूरे हो जाने की बात कही गयी हैं। नगर पालिका सीमा क्षेत्र के अंतर्गत अरपा नदी को दूषित जल से मुक्त करने की योजना एवं चल रही योजनाओं का पूर्णतः विवरण दिया गया हैं। बैठक के दौरान परियोजना अधिकारी ने बताया 70 नालों की दूषित जल को भूमिगत सीवरेंज के माध्यम से एसटीपी तक पहुंचा कर उपचारित किया जायेगा।
तत्पश्चात् उपचारित जल को थर्मल पाॅवर प्लांट एनटीपीसी. सीपत एवं केएसके अकलतरा मे उपयोग किया जा सकेगा जिससे अरपा नदी प्रदूषण मुक्त होगी। एनजीटी के मानदण्डों को पूरा करने और बिलासपुर शहर से उत्पन्न सीवरेंज से निपटने के लिये सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान को अपडेट करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही हैं।कार्यपालन अभियंता एवं परियोजना अधिकारी ने ये भी बताया कि अरपा उत्थान एवं तट संवर्धन का कार्य प्रगति पर हैं।
अरपा को पुनर्जीवन देने ऐसे चल रहा कार्य
बिलासपुर वन मण्डल द्वारा अरपा नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में किये गये कार्यों का विवरण दिया गया। अरपा नदी के कुल ग्रहण क्षेत्र 3.351 लाख हेक्टेयर हैं, जिसमें मुख्य रूप से चाट जिले शामिल हैं।
बिलासपुर जिले के बिलासपुर वन मण्डल के अंतर्गत 1.90 लाख हेक्टेयर हैं। अरपा नदी को पुनःजीवित करने हेतु बिलासपुर मण्डल अंतर्गत आने वाले जल ग्रहण वन क्षेत्रों में नदी तट पर वृक्षारोपण कार्य एवं नरवा विकास कार्य एवं मृदा जल संवर्धन संरक्षण कार्य किया जा रहा हैं। वन विभाग द्वारा 2022-23 तक 43 नरवा के माध्यम से जल संग्रहण क्षेत्र का रकबा 82287.70 हेक्टेयर हैं। वन विभाग द्वारा कार्यों में मुख्यतः जलाकम क्षेत्रों में किया जाता हैं।
2023-24 में लगभग बजट में तीन हजार करोड़ की लागत स्वीकृत हुई हैं। रिजटू बैली के सिद्धांत पर इन उपचार कार्यों में ब्रशहुड, लूज बोल्डर, चेक डेम, गल्ली पलग तथा समूच खंती जैसे कार्य उपचार के रूप में किये गये हैं। 00 वन विभाग में कार्यों का बेसलाइन सर्वे में ये आये परिणाम आयें। .
वर्षा के जल का 18 से 20 प्रतिशत जल का पुनः भरण हो रहा हैं। किये गये उपचारों के फलस्वरूप 10 से 20 प्रतिशत कमी हुई हैं। भूमिगत जल में औसत 6 से 10 से.मी. की वृद्धि दर्ज की गयी हैं। बैठक में मुख्य रूप से स्मार्ट सिटी परियोजना अधिकारी सुरेश बरूवा, एसडीओ. खारंग केके. सिंह, सहायक वन संरक्षक आरके. सिदार, सहायक मानचित्रकार आर.पी.गहिरे, पी.एम.बी. अभिजीत तिवारी, तौसिब खान उपस्थित थे।
कलेक्टर व निगम कमिश्नर के साथ होगी बैठक
बैठक के दौरान प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं सदस्यों ने प्रोजेक्ट पूरा होने मे हो रही देरी को लेकर चिंता व्यक्त की। समय पर कार्य पूरा हो इसके लिए दिशा निर्देश दिये। कार्य की गति को लेकर कलेक्टर एवं नगर निगम कमिश्नर से बैठक करने का निर्णय लिया गया।