कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता आवश्यक
dr dinesh mathur। skin specialist। rajasthan hospital
कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता आवश्यक
राजस्थान अस्पताल में परिचर्चा आयोजित
जोधपुर एम्स के निदेशक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व अध्यक्ष एवं राजस्थान अस्पताल के चेयरमैन डॉ. एस. एस. अग्रवाल ने कहा कि कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक है। वे राजस्थान अस्पताल में कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे।
हर वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास किए, इसलिए इस दिन का उद्देश्य समाज में कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) के प्रति जागरूकता फैलाना, इससे जुड़े मिथकों को दूर करना और रोगियों के पुनर्वास को बढ़ावा देना है।
कुष्ठ रोग के कारण, लक्षण और उपचार
वरिष्ठ त्वचा एवं कुष्ठ रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि कुष्ठ रोग मायकोबैक्टेरियम लेप्रे नामक जीवाणु से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जो त्वचा, तंत्रिकाओं और अन्य ऊतकों को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे फैलता है और इसके लक्षण वर्षों बाद भी उभर सकते हैं।
उन्होंने कुष्ठ रोग के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा:
त्वचा पर हल्के रंग या लाल धब्बे, जो सुन्न हो सकते हैं।
हाथों और पैरों में कमजोरी या झनझनाहट।
घाव या कटने पर दर्द का अनुभव न होना।
मांसपेशियों में कमजोरी, चेहरे पर सूजन या विकृति।
यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह रोग स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है।
भारत में कुष्ठ रोग की स्थिति और सरकारी प्रयास
डॉ. माथुर ने बताया कि विश्व में कुष्ठ रोगियों का लगभग 60% भारत में हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस रोग पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के तहत कई पहलें चलाई हैं, जिनमें मुफ्त इलाज, समुदाय-आधारित पुनर्वास और सामाजिक जागरूकता अभियान शामिल हैं।
उपचार के बारे में उन्होंने बताया कि मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) के माध्यम से कुष्ठ रोग का पूरी तरह से इलाज संभव है। यह उपचार सरकार द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। यदि रोग को प्रारंभिक अवस्था में पहचान लिया जाए, तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है और कोई विकलांगता नहीं होती।
समाज में भेदभाव को खत्म करने की आवश्यकता
राजस्थान अस्पताल के डॉ. सर्वेश अग्रवाल ने कहा कि कुष्ठ रोग आनुवंशिक नहीं है, बल्कि जीवाणु संक्रमण से फैलता है। यह सिर्फ छूने या हाथ मिलाने से नहीं फैलता और सही उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो सकता है। इलाज के बाद कुष्ठ रोगी समाज के अन्य लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं।
राजस्थान अस्पताल के प्रेसिडेंट डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग सिर्फ चिकित्सा का विषय नहीं, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है। इस रोग से जुड़े भेदभाव के कारण कई मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में समाज को भेदभाव और पूर्वाग्रह को खत्म करने, कुष्ठ रोग से जुड़े मिथकों को दूर करने और सही जानकारी फैलाने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगियों को समाज में स्वीकार करने और उन्हें रोजगार के अवसर देने के प्रयास भी होने चाहिए।
कुष्ठ रोग कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक सामान्य संक्रमण
डॉ. दिनेश माथुर ने कहा, “कुष्ठ रोग कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक सामान्य संक्रमण है, जिसका पूरी तरह इलाज संभव है।” अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस हमें यह सिखाता है कि हम समाज में इस रोग को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करें, मरीजों को सम्मान और प्रेम दें, और इस रोग को जड़ से खत्म करने में योगदान दें।
संकल्प लो : कुष्ठ रोगियों को समर्थन और सम्मान देंगे
डॉ. सर्वेश अग्रवाल ने कहा, “इस कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस पर हम यह संकल्प लें कि हम कुष्ठ रोगियों को सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से समर्थन देंगे और इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में कार्य करेंगे।”
संदेश यह है…....
कुष्ठ रोग के प्रति समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाकर ही इस रोग को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए सरकार, चिकित्सा विशेषज्ञों और समाज के हर व्यक्ति को मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि कुष्ठ रोगियों को भी सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिल सके।
संपर्क सूत्र डॉ दिनेश माथुर मो +91 98290 61176