नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा एक बच्ची में ड्यूल चैम्बर पेसमेकर का इम्प्लांटेशन कर बच्ची को दिया नया जीवन।
नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा एक बच्ची में ड्यूल चैम्बर पेसमेकर का इम्प्लांटेशन कर बच्ची को दिया नया जीवन।
नारायणा हॉस्पिटल ने हाल ही में एक चुनौती पूर्ण मामले में नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से एक बच्ची में ड्यूल चैम्बर पेसमेकर का इम्प्लांटेशन कर बच्ची को नया जीवन दिया।
बच्ची की जान बचाने के मिशन के अंतर्गत नारायणा हॉस्पिटल में एक विशेष टीम बनाई गई थी, जिसमें सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डॉ. प्रशांत महावर, सीनियर कंसलटेंट कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी डॉ. विनोद पूनिया और सीनियर एनेस्थेटिक्स शामिल हुए।
बीमारी यह थी
बच्ची को जन्मजात हृदय रोग था और कुछ साल पहले ही उसकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी।
डॉ. प्रशांत महावर ने कहा कि मामला चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बच्ची की उम्र सिर्फ 6 साल थी और वजन 19 किलोग्राम से भी कम था, साथ ही उसकी पहले भी सर्जरी हो चुकी थी।
हमने कैथ लैब में ड्यूल चैम्बर पेसमेकर के इम्प्लांटेशन की योजना बनाई।
डॉ. विनोद पूनियां ने कहा कि हमने बच्ची में एक ड्यूल चैम्बर पेसमेकर लगाने का विकल्प चुना, ताकि यह बच्ची में हृदय पंपिंग की दक्षता में सुधार के लिए एट्रिया और वेंट्रिकल को बेहतर ढंग से सिंक्रनाइज कर सके।
संपर्क सूत्र : डॉ प्रशांत महावार मो +919799392898