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अभिव्यक्ति

तुम क्या जानों ड्राईवर की औकात क्या ? सोच बदलनी होगी

तुम क्या जानों ड्राईवर की औकात क्या ?

उसकी औकात से ही हो आप सुरक्षित

सोच बदलनी होगी

ड्राइवर को हल्के में न लें

ड्राईवर व गाड़ी दोनों एक दुसरे के बिना अधूरे है, ड्राईवरों के मुख से सुनी बात है कि हम 37 वीं कोम में आते है क्योंकि हम बिना किसी जाति-पाति, भेदभाव न रखते हुये आपस में प्रेमभाव से संगठन में रहते है। हर ड्राईवर का खलासी होता है जो गाडी व ड्राईवर की गति विधियों का पूरा ध्यान रखता है।

सोच बदलनी होगी

ड्राईवर वो योद्धा होता है, जो भूखा प्यासा रहकर परिवार से दूर रहकर कई परिस्थितियों का मुकाबला कर अपनी मंजिल तक पहुचता है। जिस प्रकार सैनिक बंदूक से हमारी रक्षा करता है, उसी प्रकार ड्राईवर भी स्टॅरिंग व ब्रेकों से गाड़ी नियंत्रण कर जीव-जन्तुओं व मनुष्य प्राणी मात्र की रक्षा करता है। इस प्रकार ड्राईवर एक रक्षक भी होता है।

सोचो

ड्राईवर व गाड़ी का सम्बध बहुत प्यारा होता है। ड्राईवर अपनी गाड़ियों को दुल्हन की तरह सजा-धजा रखते है, हर छोटी-बड़ी गाड़ी में भगवान की मूर्ति की प्रतिमा अपने इष्ट देव के अनुसार रखते है। गाड़ी चालू करने से पहले प्रतिमा को धोक – प्रमाण कर रोड पर देखकर संकल्प लेते है। मेरी यात्रा सफल करें, कोई जीव हत्या न हो, गाड़ी बीच रास्ते में खराब न हो सभी ड्राईवरों का अपनी-अपनी भाषा में कोड का स्तेमाल करतें है, जैसे चल बसंती, चल मेरी रानी, चल पहाड़ों की रानी, चल रामू की दिवानी आदि ।

सोचो ड्राइवर करता है कितनी तैयारी

गाड़ी चलाने से पहले कई तैयारियों करनी पड़ती है। जैसे गाड़ी में डीजल, पेट्रोल व गैस चैक करना, सामने व साइड शीशे साफ करना, रास्ते का नक्शा तैयार कर दूरी की जानकारी लेना, गाड़ी के टायर कल पुर्जे चैक करना ऐसी कई तैयारियां करनी पड़ती है।

सोचो ड्राइवर की वेदना

दिनचर्याः भूखे प्यासे रहकर, आँखों में नींद नीकालकर, आंधी-तूफानों को सामना कर, दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपनी मंजिल तक पहुचतें है।

ड्राइवर कितना मस्त

मनोरंजन : ड्राईवर लोगों को संगीत का बड़ा मोह होता है। कई ड्राईवरों को संगीत का इतना मोह होता है कि संगीत के बिना गाड़ी चला ही नहीं सकते है, बड़ी मौज मस्ती, हंसी-मजाक के ठहाके लगाते हुये संगीत गुनगुनाते हुये, जानकार साथी मिलने पर हौर्न या हाथ से अभिवादन करते हुये, रास्ते में आये धार्मिक स्थलों को हौर्न बजाकर धोक प्रणाम करते हुये आगे बढ़ते रहते हैं, क्षेत्र के अनुसार भाषा बोलने में पारन्गत होतें है।

संगठन : ड्राईवरों का भी राजतंत्र की तरह ट्रांसपोर्ट, ट्रेवल्स व कई यूनियनों द्वारा संचालन होता है। समाज की तरह बड़ा संगठन होता है। एक दुसरे की बात को दर किनार नहीं करते है। छोटी मोटी गाड़ी से लेकर बड़ी गाडी चलाने के लिए परिवहन विभाग से लाईसेन्स व कई नियम कायदो को ध्यान में रखना पड़ता है, साथ ही शारीरिक तौर स्वस्थ्य रहना पड़ता है।

सोचो ड्राइवर पर शिकंजा

हिट एंड रन कानून कितना सही कितना गलत : इस कानून के शिकार वो सभी लोग है जो गाड़ी चलाते है। जो लाईसेन्स धारी है, इसलिए सभी को अमल करना होगा की भविष्य में सबके संकट के बादल न छाये अभी से प्रयास करें ड्राईवर भाईयों का साथ दे, कानून में संशोधन करवाने का प्रयास करें।

ड्राइवर की चुनौतियां 

कई परेशानियों से झूझकर संकट में पड़कर अपनी रोजी-रोटी कमानें वाले ड्राईवर अपनी जान हथेली पर रखकर दुसरों को सुरक्षित पहुंचातें है, उनके लिए बड़े लोग अधिकारी बोलते है कि तेरी क्या औकात है?

मेरी कलम से: ड्राईवर की वो औकात है जो कोई समझ नहीं सकता” “आमजन से निवेदन है कि ड्राईवरों के प्रति अच्छा व्यवहार व अच्छी सोच रखें”

लेखक – डॉ. मानसिंह भावरिया

जिला अध्यक्ष आई.टी. प्रकोष्ठ

राजस्थान जाट महासभा

नीमकाथाना

मो न 96727 77737

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