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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांस
अभिव्यक्ति

सोचना पड़ेगा ही। सोचो नया साल कौनसा। new year which ?

” सोचो नया साल कौनसा

न ऋतु बदली… न कक्षा बदली… न सत्र, न फसल बदली… न खेती, न पेड़ पौधों की रंगत, न सूर्य चाँद सितारों की दिशा, ना ही नक्षत्र।

सोच बदलनी होगी

नया केवल एक दिन ही नहीं कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। इस 1 जनवरी के बाद तारीख के अलावा कुछ बदलता नहीं।

सोचो – शुद्ध सात्विक वातावरण का प्रतीक है चैत्र का पंचांग

दोनों का तुलनात्मक अंतर करो

प्रकृति– एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी……..वही चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।

देखिए विद्यालयों का नया सत्र दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं…… जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।

नया वित्तीय वर्ष – दिसम्बर- – जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की क्लोजिंग होती है नए बही खाते खोले जाते है । कलैण्डर जनवरी में नया कलैण्डर आता है..

सोचो

चैत्र में नया पंचांग आता है। उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं।

इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग

किसानो का नया साल – दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है.. जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह होता है।

पर्व मनाने की विधि – 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश

जबकि

भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है।

शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।

सोचो नया साल कौन सा मनाएं

सोच बदलनी होगी

सम्पर्क सूत्र डॉ. मानसिंह भंवरिया मो 96727 77737

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