2024 में जयपुर का मेडिकल परिदृश्य
मेडिकल टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
नया साल 2024 न केवल जयपुर बल्कि राजस्थान की जनता के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक सौगातें लेकर आ रहा है।
इससे जयपुर में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। नए साल 2024 में
एसएमएस अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस, कार्डियक संस्थान, डीएनए लैब समेत कई नई सुविधाएं शुरू हो जाएंगी।
आइपीडी टॉवर में भी कुछ ब्लॉक शुरू होंगे।
गणगौरी अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक और जयपुरिया अस्पताल में न्यू ट्रोमा सेंटर शुरू हो सकता है।
एस एम एस में इंस्टीट्यूट ऑफ डर्मेटोलॉजी विभाग शुरू होगा, सरकार ने इसकी स्थापना के लिए 7 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। उल्लेखनीय है कि अभी तक दुनिया में केवल एक ही डर्मेटोलॉजी इंस्टीट्यूट है जो लंदन में है। जयपुर के लिए गर्व की बात है कि जयपुर में एस एम एस में दुनिया का ऐसा दूसरा सरकारी अस्पताल होगा जहां एक ही छत के नीचे गुप्त रोग व चर्म रोगों का इलाज होगा।
चरक भवन में हो सकेंगे हेयर ट्रांसप्लांट और स्किन संबंधी पूरा इलाज। शारीरिक कमजोरी या सेक्सुअल वीकनेस का इलाज भी एक ही छत के नीचे होगा।
नई तकनीक से तुरंत पता चलेगी डोज की मात्रा – एसएमएस में गंभीर हालत में लाए जाने वाले मरीजों में पॉइजन, ड्रग के डोज की मात्रा की सटीक जानकारी तुरंत मिल सकेगी। इस सुविधा से इलाज भी तुरंत शुरू हो सकेगा। इसके लिए अस्पताल में पॉइजन डिटेक्शन एंड ड्रग लेबल लैब बनाई जा रही है।
गणगौरी अस्पताल में 50 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनाया जा रहा है। ये अगस्त तक बन जाएगा फिर यहां पर ट्रोमा, मोर्चरी की सुविधा भी शुरू हो जाएगी। साथ ही कई सुपर स्पेशलिटी भी शुरू होगी। बेड, ओटी, आईसीयू की संख्या भी दोगुना हो जाएगी।
महिला चिकित्सालय और चांदपोल स्थित जनाना अस्पताल में भी आईपीडी टावर निर्माणाधीन है। यहां पूरे प्रदेश से गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं।
प्रताप नगर में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट भवन का निर्माण द्रुत गति से चल रहा है यहां एक ही छत के नीचे कैंसर मरीजों का पूरा इलाज मिल जाएगा जिससे एसएमएस हॉस्पिटल में कैंसर रोगियों को मिलने वाला इलाज का बोझ हल्का होगा।
एसएमएस अस्पताल की इमरजेंसी में होगा वार्ड, ओटी और आईसीयू और साथ ही नए वर्ष में इमरजेंसी ब्लॉक का भी विस्तार किया जाएगा। इस पर करीब 12 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए है।
इमरजेंसी ब्लॉक के विस्तार से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। क्योंकि इसके बाद यहां दस बेड का सामान्य वार्ड, आईसीयू, सेमी आइसीयू व माइनर ओटी बनाया जाएगा। जिससे इमरजेंसी में गंभीर हालत में पहुंचे रोगी को हर तरह का हर संभव उपचार तुरंत मिल सकेगा। उसे इधर-उधर शिफ्ट के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। दरअसल मरीज को इलाज के लिए इधर-उधर शिफ्ट होने में भटकना पड़ता है जिससे काफी समय बर्बाद हो जाता है और तुरंत मिलने वाला इलाज विलंब होने से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है इस दुविधा से राहत मिल सकेगी।