विशेष
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
धर्म-समाज-संस्था

परमार्थ एवं आध्यात्मिक समिति द्वारा “एक शाम राम के नाम” का भव्य आयोजन

परमार्थ एवं आध्यात्मिक समिति द्वारा “एक शाम राम के नाम” का भव्य आयोजन

 

परमार्थ एवं आध्यात्मिक समिति (रजि.) द्वारा आयोजित “एक शाम राम के नाम” कार्यक्रम भक्ति, वीरता और हास्य रस से सराबोर एक यादगार संध्या बनी। इस आयोजन का मंच संचालन समाजसेवी आर.के. अग्रवाल जी ने किया, जिन्होंने अपने प्रभावशाली शब्दों से कार्यक्रम को गरिमामय बनाया।

इस आयोजन में वीर रस के विश्वविख्यात कवि शशिकांत यादव मुख्य आकर्षण रहे। उनके साथ रमेश पांचाल जी ने प्रारंभिक कविताओं से मंच को ऊर्जावान बनाया। आयोजन में खींचा जी और ओम जी ने कवि शशिकांत यादव जी का माल्यार्पण कर सम्मान किया, वहीं नरेंद्र जी टॉक और जायसवाल जी ने रमेश पांचाल जी का अभिनंदन किया। संतोष जी और निर्मला जी ने भी कवि शशिकांत यादव का हृदय से स्वागत किया।

कवि शशिकांत यादव के ओजस्वी शब्दों में राम भक्ति और समाज पर तंज

कवि शशिकांत यादव ने कार्यक्रम की शुरुआत अपने गुरुदेव कोकिल साहब को नमन कर की। उन्होंने कविता को पढ़ना कठिन कार्य बताते हुए समाज में बदलते मूल्यों पर गहरा तंज कसा। उन्होंने कहा कि “आज के युग में युवा रील बनाने में व्यस्त हैं, जिससे पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों में गिरावट आई है।”

उनकी ओजस्वी कविताओं में समाज के साथ-साथ राजनीतिक कटाक्ष भी मुखर रूप में प्रकट हुए। उन्होंने कहा :

राम मंदिर निर्माण रोकने वालों और राम की पहचान मांगने वाले जो कभी सनातन संस्कृति के विरोध में थे, आज भगवान राम का प्रसाद देखें वे लोग अपनी पहचान को तरस रहे हैं”

उन्होंने अपनी वीर रस और हास्य रस से भरपूर कविताओं में भगवान राम के शौर्य और शक्ति का गुणगान किया और हिंदू संस्कृति पर आघात करने वालों पर तीखे व्यंग्य किए। उन्होंने कहा :

तेज सूरज सा धैर्य पहाड़ सा,

ये है हिंदुस्तान हमारा प्यारा हिंदुस्तान!”

समाजसेवा और राम भक्ति का संगम

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाना था। आर.के. अग्रवाल जी के नेतृत्व में यह आयोजन पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। भगवान राम के प्रति श्रद्धा, वीरता का उत्साह और हास्य का आनंद—इन तीनों भावनाओं से ओतप्रोत यह संध्या उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बन गई।

 

एक शाम राम के नाम” सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का उत्सव बन गया!”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Related Articles

Back to top button