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घुटनों में दर्द न हो इसके लिए लचीलापन होना बेहद जरूरी : डॉ. नरेन्द्र आटोलिया

घुटनों में दर्द न हो इसके लिए लचीलापन होना बेहद जरूरी : डॉ. नरेन्द्र आटोलिया

ऑर्थो उपचार के लिए जाना माना नाम अतुल्य अस्पताल जयपुर के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र अटोलिया का कहना है कि घुटनों में होने वाले दर्द का एक प्रमुख कारण है आर्थराइटिस।

देखने वाली बात यह है कि यह समस्या अब 50 साल के होने का इंतजार नहीं करती बल्कि कम उम्र के लोग भी ऑस्टियो आर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं। युवाओं में इस समस्या का मुख्य कारण उनकी बिगड़ती जीवनशैली है। महिलाओं में इसका कारण रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।

डॉ अटोलिया का कहना है कि घुटनों पर दबाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन ऑस्टियो आर्थराइटिस में घुटनों पर पड़ रहा दबाव असहनीय होता है।

दर्द की वजह से महिलाएं कोशिश करती हैं कि उन्हें ज्यादा चलना न पड़े। उनके लिए सलाह यह है कि वें समय रहते व्यायाम शुरू कर दें।

डॉ अटोलिया ने तर्क बताते हुए कहा कि इस बीमारी में कार्टिलेज अपनी इलास्टिसिटी खो देती है। कार्टिलेज के कठोर हो जाने की वजह से इसके सिरों में घर्षण होने पर गहरी चुभन और दर्द महसूस होता है साथ ही यह जल्द ही क्षतिग्रस्त भी हो जाती है।

डॉ. अटोलिया ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी तरह का झटका या आघात लगने पर पूरा दबाव कार्टिलेज पर ही पड़ता है।

आपका कार्टिलेज शॉक एब्जॉर्बर होता है, इस बीमारी में वह शॉक ऑब्जर्वर की भूमिका नहीं निभा पाता।

अक्सर लोग दर्द के उपाय में दर्द निवारक गोलियों का सेवन शुरू कर देते है, जबकि यह स्थायी समाधान नहीं है।

उन्होंने बताया कि अक्सर शुरू में घुटनों में हल्का दर्द होने पर लोग इस ओर ध्यान नहीं देते। कई बार घुटनों में सूजन भी होती है। पैर मोड़ने में, सीढ़ियां चढ़ने में और बड़ी देर तक बैठे रहने के बाद उठने में घुटनों में तकलीफ होती है। ये सभी आस्टियो आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण होते हैं।

दर्द में अधिकांश लोग चलना फिरना कम कर देते हैं। लेकिन समाधान यह नहीं है। कई बार ऑस्टियो आर्थराइटिस व्यायाम से या फिजिकल थेरेपी से ही दूर हो जाता है क्योंकि इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। कुछ मामलों में दवाएं मददगार होती हैं।

उन्होंने बताया कि जीवनशैली में सुधार से इस बीमारी से बचा जा सकता है। कम वजन होने पर चलना फिरना आसान होता है और घुटनों पर अधिक दबाव भी नहीं होता। व्यायाम जोड़ों को लचीला बनाता है इसलिए व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिएए लेकिन बार बार कहने के बाद भी लोग इस ओर ध्यान नहीं देते।

विशेषज्ञ की सलाह इसलिए जरूरी है कि आप उनके निर्देशन में अलर्ट रहते है और उनकी बताई बातों तथ्यों पर अमल करते है, तभी आपकी बीमारी का स्थायी इलाज संभव होता है।

संपर्क सूत्र- डॉ. नरेन्द्र अटोलिया, मो. 94140-35167

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