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राजस्थान

नरम पड़े सचिन पायलट, बोले- गहलोत जी को ज्यादा अनुभव है, ‘सामूहिक नेतृत्व’ ही चुनाव में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मतभेदों को भुलाकर आगे बढ़ने का शनिवार को स्पष्ट संकेत दिया और कहा कि सामूहिक नेतृत्व ही चुनाव में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। पायलट ने दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे कहा है कि ‘भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो’ तथा खरगे की यह बात उनके लिए एक सुझाव होने के साथ ही पार्टी अध्यक्ष का निर्देश भी है। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब गत बृहस्पतिवार को खरगे और राहुल गांधी ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसमें एकजुट होकर आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला हुआ था।

मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करेगी कांग्रेस
इस बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने यह संकेत दिया था कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करेगी। गहलोत के साथ मतभेदों को खत्म कर आगे बढ़ने का स्पष्ट संकेत देते हुए पायलट ने कहा, ‘‘अशोक गहलोत जी उम्र में मुझसे बड़े हैं। उनको ज्यादा अनुभव है। उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं। जब मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था, तो मैंने कोशिश की थी कि सबको साथ लेकर चलूं। मुझे लगता है कि आज वह मुख्यमंत्री हैं, तो यह कोशिश कर रहे हैं कि सबको साथ लेकर चलें।” उन्होंने कहा, ‘‘अगर कहीं कुछ थोड़ा आगे-पीछे है, तो वो बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि पार्टी और जनता किसी व्यक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। यह बात मैं भी समझता हूं और वह भी समझते हैं।”

किसको मौका दिया जाए, फैसला बाद में लिया जाएगा
पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व के साथ हुई हालिया बैठक का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘बैठक में सार्थक, व्यापक और लंबी चर्चा हुई। किस तरह से आने वाले चुनावों को लड़ना है और जीतना है, इस पर चर्चा की गई। 25 साल से राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने का सिलसिला बना हुआ है, इस परिपाटी को तोड़ने के लिए हमें क्या करना है, इस पर हमारा बहुत अच्छा मंथन हुआ। इसके अच्छे परिणाम भी आएंगे।” विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि दशकों से कांग्रेस की परंपरा रही है कि चुनाव से पहले पार्टी चेहरा घोषित नहीं करती। उन्होंने कहा, ‘‘दशकों से कांग्रेस किसी प्रदेश में किसी एक चेहरे को आगे करके चुनाव नहीं लड़ती। 2018 में मैं प्रदेश अध्यक्ष था, हम सब मिलकर चुनाव लड़े। बाद में पार्टी ने जो निर्णय लिया, वो सबके सामने है। हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। चुनाव जीतने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि किसको मौका दिया जाए। फिलहाल महत्वपूर्ण यह है कि हमें चुनाव जीतना है।”

क्या सामूहिक नेतृत्व ही चुनाव में आगे बढ़ने का रास्ता है?
इस सवाल पर कि क्या सामूहिक नेतृत्व ही चुनाव में आगे बढ़ने का रास्ता है तो पायलट ने कहा, ‘‘आगे जाने का यही एकमात्र रास्ता है। जब मैं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था, तो उस वक्त कहा था कि कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि वह चुनाव जीतने का जादू कर सकता है या कर सकती है, यह हमेशा एक सामूहिक प्रयास होता है।” आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी, तो पायलट ने कहा कि यह कांग्रेस नेतृत्व को तय करना है, लेकिन राजस्थान में चुनाव जीतने के लिए जो भी संभव होगा, वह करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या उनका दिल राजस्थान में ही बसता है और ऐसे में वह प्रदेश में ही भूमिका चाहते हैं, तो पायलट ने कहा, ‘‘बिल्कुल सच है।

मैंने कभी छिपाया नहीं इस बात को। वहां (राजस्थान) के लोगों, कार्यकर्ताओं, मिट्टी और मतदाताओं का मुझे आशीर्वाद मिला है। मेरी सबसे बड़ी पूंजी वो है। मैं चाहता हूं कि मेरा जो भी योगदान हो सके, मैं करूं, हम दोबारा सरकार बनाएं।” उन्होंने कहा, ‘‘2018 में हम सब मिलकर लड़े थे, उसका परिणाम आया। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीट पर आ गई थी… उस वक्त हमने मिलकर काम किया और हमें सफलता मिली। इसलिए, मुझे लगता है कि दिसंबर 2023 में होने वाले चुनाव में हम मिलकर काम करेंगे, तो जनता का आशीर्वाद मिलेगा।”

माफ करो और आगे बढ़ो
पायलट के मुताबिक, खरगे ने उनसे पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘खरगे जी ने मुझसे कहा कि भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो, जो समय निकल गया, वो आने वाला नहीं है, चुनौतियां हमारे सामने हैं। उनकी बात एक सुझाव भी है, अध्यक्ष के तौर पर निर्देश भी है।” उन्होंने कहा कि खरगे ने उनसे जो कहा, उसपर वह विश्वास करते हैं। पायलट ने कहा, ‘‘ हमें सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना है। हमें संगठन को मजबूत करना है, चुनाव जीतना है।”

गहलोत का पूरा सम्मान
मुख्यमंत्री गहलोत के साथ रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह गहलोत का पूरा सम्मान करते हैं तथा दोनों इस बात को समझते हैं कि पार्टी और जनता व्यक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। पायलट ने कहा, ‘‘मुझे राजनीति में 20-25 साल हो गए। मुझे किसी ने कुछ भी कहा हो, लेकिन मेरे जो संस्कार हैं, जो राजनीतिक सोच है, जो मैंने अपने माता-पिता से सीखा है, मैंने किसी के खिलाफ किसी ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया, जो मैं खुद के लिए नहीं सुनना नहीं चाहता। शब्द, शब्दावली और टिप्पणियां बहुत सोच समझकर करनी चाहिए। मैंने हमेशा से अपने को सीमा में रखकर काम किया है।

लोग अब समझ गए हैं, उनके लिए कौन हितकारी है
मैं बेबाकी से बोलता हूं, लेकिन ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करता, जिसका बाद में अफसोस हो। उन्होंने कहा कि अगर एक टीम भावना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा गया, तो राजस्थान में कांग्रेस की जीत निश्चित है। विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने हिमाचल में मोदी जी के नाम पर लड़ा था, कर्नाटक में मोदी जी के नाम पर लड़ा था, क्या परिणाम आए? लोगों ने सब देख लिया, परख लिया, लोग अब समझ गए हैं, उनके लिए कौन हितकारी है और कौन लोग धर्म की राजनीति करते हैं और विवादित बयान देते हैं।” पायलट ने केंद्र सरकार पर राज्य के पैसे रोकने और भेदभाव का आरोप लगाया।

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