कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ी पूर्णिमा पर करें गुरु पूजा बनने लगेंगे बिगड़े काम
आषाढ़ी पूर्णिमा पर गुरु पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गुरु पूजा करने से दोषों का निवारण होता है और गुरु की कृपा दृष्टि होती है। काल सर्प जैसे दोषों का निवारण होता है। जीवन में सुख, समृद्धि बढ़ती है।
रायपुर के बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी डा.इंदुभवानंद महाराज के अनुसार जिसकी कुंडली में काल सर्प दोष विद्यमान हो उसे गुरु पूर्णिमा पर गुरुदेव की पूजा करके आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु के आशीर्वाद से दोषों से मुक्ति मिलती है। गुरु पूजा और गुरु के दिए मंत्र का निरंतर जाप करने से काल सर्प दोष समेत अनेक संकटों का निवारण होता है। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु के मार्गदर्शन से प्रगति के द्वार खुलते हैं।
महर्षि वेदव्यास का अवतरण
ऐसी मान्यता है कि महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास (महर्षि वेद व्यास) का जन्म आषाढ़ी पूर्णिमा को हुआ था। महर्षि वेद व्यास के प्रकटोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। गुरु को सम्मान देने के लिए ही गुरु पूर्णिमा पर गुरुदेवों की पूजा करने का विधान है। गुरु पूर्णिमा के दिन साक्षात गुरुदेव अथवा गुरु के छायाचित्र की पूजा-अर्चना करके गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन मंत्रों का जाप करने से सफलता के द्वार खुलेंगे और बल-बुद्धि में वृद्धि होगी।
राजधानी के अनेक आश्रमों में गुरु पूजा का आयोजन
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। सोमवार को राजधानी के अनेक आश्रमों में गुरु पूजा का आयोजन किया जा रहा है। सुबह से दोपहर तक गुरु पूजन, आरती करके श्रद्धालु गुरुजनों का सत्कार करेंगे।