कॉस्मेटिक्स, फूड पैकेजिंग में लगने वाले केमिकल्स देते है कईं बीमारियों को निमंत्रण
मंडरा रहा बड़ा खतरा
*कॉस्मेटिक्स, फूड पैकेजिंग में लगने वाले केमिकल्स देते है कईं बीमारियों को निमंत्रण*
नॉन स्टिक पैन्स, फूड पैकेजिंग, कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले 12 हजार केमिकलों के ग्रुप पीएफएएस (पॉलीफ्लू ओरो अल्किल सच्चाटेंसेस) से कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा का पता चला है। इन केमिकल रसायनों का संबंध कई प्रकार के कैंसरों को आमंत्रित करने के साथ कोलेस्ट्रॉल, हार्मोन्स में गड़बड़ी, इम्यून सिस्टम की समस्याओं, प्रजनन क्षमता कम होने और बच्चों के देर से विकास जैसी ढेरों बीमारियों को न्यौता देते है।
एनल्स ऑफ ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित नई स्टडी में बताया गया कि इन केमिकलों की निर्माता दो सबसे बड़ी कंपनियों 3 एम और ड्यूपों को इनके नुकसान की जानकारी भी थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि 3 एम और ड्यूपी को 1960 के दशक में पीएफएएस के घातक होने की शुरुआती जानकारी हो गई थी। 1970 में इनके खतरों का पूरी तरह पता चल गया था।
रिसर्च पेपर के लेखक डॉ. नादिया गबेर का कहना है, दस्तावेजों से पता चला कि मैन्युफैक्चरर केमिकलों के बारे में क्या जानते हैं। केमिकलों से प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों ने भी जन स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी को छिपाया है। स्टडी के अनुसार पीएफएएस के संबंध में खतरों का पता 1961 में लगा था। उस वर्ष कनाडियन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल ने पीएफएएस फैक्टरियों के वर्करों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
प्रदूषित सिगरेट से हुई बीमारी।
पीएफएएस पर आधारित टेफलॉन से प्रदूषित सिगरेट पीने से ये वर्कर बीमार पड़ गए थे।
1961 और 1962 में ड्यूपों के अध्ययनों में पाया गया कि टेफलॉन अधिक तापमान में प्रतिक्रिया कर सकता है। 1970 में वेस्ट वर्जीनिया स्थित ड्यूपो के प्लांट पर रिसर्चर्स ने पाया कि पीएफएएस केमिकल्स सांस के अंदर जाने से बहुत अधिक जहरीला प्रभाव पैदा करते हैं। पेट में इनके जाने से जहरीला असर कम हो जाता है।