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कान्हा के जंगलों में घूमते रहे पक्षी विशेषज्ञ ढूंढ़ निकालीं पक्षियों की 12 नई प्रजातियां

 जबलपुर। कान्हा के जंगलों में वन जीवों के साथ पक्षियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मध्यप्रदेश के जंगलों के साथ अन्य राज्यों के पक्षी, कान्हा के जंगलों में विचरण करने आ रहे हैं। मध्यप्रदेश समेत 13 राज्यों के लगभग 85 पक्षी विशेषज्ञों ने कान्हा में पांच दिन रहकर पक्षियों का सर्वे किया।

12 ऐसी प्रजातियां, जो कान्हा के जंगलों में पहली बार जून में देखीं

12 ऐसी प्रजातियां मिलीं, जो कान्हा के जंगलों में पहली बार जून में देखी गईं। यह सर्वे फरवरी में भी होता था। 272 पक्षियों की प्रजातियों को चुना गया। दरअसल कान्हा टाइगर रिजर्व और वाइल्ड लाइफ नेचर इंदौर के सहयोग से कान्हा के जंगलों में पक्षियों का सर्वे कराया गया। यह सर्वे एक से चार जून के बीच किया गया।

आचरण, आवाज, खानपान, रंग-रूप से जुड़े पहलुओं का अध्ययन

कान्हा टाइगर रिजर्व के निर्देशन में हुए इस सर्वे में देश के 13 राज्यों से आए पक्षी विशेषज्ञों को कान्हा के जंगलों के विभिन्न हिस्सों में टीम बनाकर भेजा गया। ये विशेषज्ञ जंगलों के चिंहित क्षेत्र में जाकर चार से पांच दिन तक वहीं रहे। जबलपुर से पक्षियों का सर्वे करने गए पक्षी विशेषज्ञ मनीष सोनी ने बताया कि सर्वे के दौरान हमने जंगलों में रुककर पक्षियों की मौजूदगी, उनके आचरण, आवाज, खानपान और रंग-रूप से जुड़े सभी पहलुओं का अध्ययन कर उनका रिकार्ड तैयार किया गया। ये रिकार्ड गर्मी के दिनों के आधार पर तैयार किया जाता है। साल में तीन ऋतुओं में तीन बार पक्षियों का सर्वे होता है। जून में गर्मी के दिनों में सर्वे किया गया, जिसके बेहतर परिणाम सामने आए।

272 प्रजातियों के पक्षी कान्हा के जंगलों में

फरवरी में किए गए सर्वे में 272 प्रजातियों के पक्षी कान्हा के जंगलों में चिंहित किए गए। इस बार गर्मियों में सर्वे किया गया। सर्वे में काफी संख्या में ऐसे पक्षी दिखाई दिए जो कि फरवरी में हुए सर्वे में दिखाई नहीं दिए थे। इनमें मुख्यतौर पर 12 पक्षियों को पक्षी विशेषज्ञों ने चिंहित किया। इनमें ड्रोंगो कोयल, भूरे पेट वाली कोयल, भारतीय कोयल, भूरी बाज़ कोयल,स्पॉट बेलीड ईगल उल्लू,इंडियन ब्लू रॉबिन, बड़ी पूंछ वाला नाईटजर, कम पीला नपडस्की ईगल उल्लू,ब्रोज्ड ड्रोंगो,मार्शल का इओरा जैसी प्रजातियां मिलीं। वाइल्ड लाइफ नेचर इंदौर के अध्यक्ष सुरेंद्र बागड़ा ने बताया कि इस सर्वेक्षण कार्य में अधिकांश पक्षी विशेषज्ञ अपनी रुचि से यहां आए। बड़ी संख्या में आए लोगों में से 85 पक्षी विशेषज्ञ को चुना गया हैं। सर्वे के डाटा का आकलन करके एक विस्तृत रिपोर्ट विभाग को सौंप दी जाएगी।

भारतीय और प्रवासी, दोनों पक्षियों का सर्वे

सर्वे के दौरान पक्षी विशेषज्ञों ने अपने सर्वे में न सिर्फ भारतीय बल्कि प्रवासी पक्षियों का भी सर्वे किया। संस्था के सचिव राजेश मंगल ने बताया की सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की गणना करना है। इस तरह के सर्वेक्षण से पक्षियों के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करना है। उनके प्राकृतिक आवास, व्यवहार में कोई बदलाव आया या नहीं, इसका भी सर्वे में अध्ययन किया गया। कान्हा के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल ने बताया कि सर्वेक्षण में 2 से 3 समूह को कान्हा टाइगर रिजर्व के अलग-अलग स्थानों पर भेजा गया। इस तरह के सर्वेक्षण से विभाग को पक्षियों के आकड़ों को एकत्रित करने में सहायता मिलती है।

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