आदर्श विद्या मंदिर राजा पार्क का 71वां वार्षिक उत्सव बुधवार को बिरला सभागार में आयोजित हुआ
पूर्व छात्रों और विशिष्ट अतिथियों के अनमोल विचार सामने आए
आदर्श विद्या मंदिर राजा पार्क का 71वां वार्षिक उत्सव बुधवार को बिरला सभागार में आयोजित हुआ
आयोजन में सभागार ग्राउंड फ्लोर और प्रथम मंजिल विद्यार्थियों, पूर्व विद्यार्थियों और अभिभावक गणों से खचाखच भरा हुआ था। कार्यक्रम इतना अनूठा और शानदार था कि अनेक लोग कार्यक्रम के शुरू से अंत तक कॉरिडोर में बैठकर और खड़े होकर भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में अध्यक्ष राजीव सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस स्कूल की स्थापना सन 1954 में की गई थी।
विद्यालय का उद्देश्य सा विद्या या विमुक्तये।
यह वाक्य संस्कृत भाषा में है, जिसका अर्थ है:
“वही विद्या है जो मुक्ति प्रदान करती है।”
इस वाक्य की व्याख्या इस प्रकार है:
– _सा_: यह शब्द “वही” या “उसी” को दर्शाता है।
– _विद्या_: यह शब्द “ज्ञान” या “शिक्षा” को दर्शाता है।
– _या_: यह शब्द “जो” या “जिस” को दर्शाता है।
– _विमुक्तये_: यह शब्द “मुक्ति” या “स्वतंत्रता” को दर्शाता है।
इस वाक्य के अनुसार, ज्ञान और शिक्षा का महत्व इस प्रकार है:
– ज्ञान और शिक्षा हमें अज्ञानता से मुक्त करते हैं।
– ज्ञान और शिक्षा हमें अन्याय और अत्याचार से मुक्त करते हैं।
– ज्ञान और शिक्षा हमें बंधनों और सीमाओं से मुक्त करते हैं।
यह वाक्य केवल वाक्य तक सीमित नहीं है आदर्श विद्या मंदिर स्कूल का यह व्यावहारिक सिद्धांत है।
उन्होंने आचार्य क्षेमचंद के योगदान को अनुकरणीय बताया।
बॉक्सिंग और मलखंभ में स्कूल के विद्यार्थियों का राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ।
यहां 2006 से छात्रावास चल रहा है जहां 50 विद्यार्थी आवास करते हैं।
विशिष्ट अतिथि जयपुर के प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी महेंद्र बांठिया ने कहा कि आज के वार्षिक उत्सव में बच्चों ने उनके अंदर छुपी कला प्रदर्शित की है
बच्चों की ऐसी प्रस्तुतियां बिना संस्कारों के नहीं आ सकती। संस्कारों को घड़ने में मां-बाप के अलावा स्कूल की बहुत बड़ी भूमिका होती है
महेंद्र बांठिया इसी स्कूल से पढ़ें उन्होंने अपने स्कूल समय की यादें ताज की। इस अवसर पर उन्होंने
गुरु जी निरंजन जी को याद किया।
स्कूल के सामने मिट्टी के टीले होते थे। वहां श्रमदान कराया जाता था। जो आज दशहरा मैदान है।
प्रार्थना सभा याद आती है।
आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से मिले संस्कार जीवन में काम आते है।
समारोह के अवसर पर विशिष्ट अतिथि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि वार्षिक उत्सव में
बच्चों का शानदार प्रदर्शन था। उन्होंने कहा बच्चे
कब सबसे ज्यादा सीखते है वो स्थान है स्कूल।
स्कूल के दिन सबको याद रहते है कोई भूल नहीं सकता। कालीचरण जी विधानसभा में आज भी स्कूल के बच्चों वाली अठखेलियां करते है।
स्कूल के प्रधानाचार्य राजेंद्र गुप्ता ने उल्लेखनीय परिणाम देने वाले बच्चों को मुख्य अतिथि और विशेष अतिथियों के कर कमलों से पुरस्कार दिलवाए और कहा कि प्रतिभाएं यही से निखरती है।
उन्होंने बच्चों को अवॉर्ड दिलवाने का संचालन किया।
स्कूल के पूर्व छात्र सूर्य प्रकाश गुप्ता के प्रतिवर्ष 11000 रुपए के योगदान को याद किया। पूर्व छात्र राजीव गुप्ता द्वारा स्कूल के विकास के लिए 20 लख रुपए दिए गए जो अनुकरणीय है।
इस अवसर पर संघ प्रचारक बाबू लाल जी ने कहा कि
स्कूल के प्रोग्राम में वक्ता बनना कठिन है। बच्चों के कार्यक्रम निहारने में ध्यान केंदित रहता है।
इतिहास से पता चलता है कि भूगोल कैसा होगा।
अबोध बालकों के खेल उनकी आपसी बातों पर नजर डालिए। पता चलेगा कि उस देश को भूगोल कैसा होगा।
भारत के इतिहास को बदलने का प्रयास किया इस संस्थान ने।
चन्द्र गुप्त मौर्य, बप्पा रावल।
शिवाजी राव के योगदान को याद किया।
इस कार्यक्रम में दो अतिथि महिला पधारी है कुसुम यादव और मंजू शर्मा… उनकी प्रतिभाओं के दम पर हमारे राजस्थान में सीधे पार्षद से एक महिला सांसद बनी तो एक महापौर।
आज हमारे देश में घर घर में राम है तो रामचरित मानस के कारण। उन्होंने संदेश दिया वेद के आधार पर जीवन को उतारो।
बाबूलाल जी ने सुनहरा बचपन पर कुछ पंक्तियां सुनाई
वो कागज़ की कश्ती, बारिश का पानी
कोई लौटा दे मेरे बचपन के दिन।
वो गुड़ियों की दुनिया, वो बारिश की बूंदें
वो घरोंदों का बनाना, वो तोड़ कर मिटाना।
ना चिंता थी कोई, ना दर्द का नाम था
बस खेल ही खेल में सारा जहां था।
वो छोटी-छोटी खुशियां, वो प्यारे से सपने
कभी रूठना, कभी मनाना अपने।
काश लौट आए वो मासूम से पल
जहां हर ग़म से दूर था दिल का महल।
वो कागज़ की कश्ती, बारिश का पानी
कोई लौटा दे मेरे बचपन के दिन
वो कागज की कश्ति बारिश का पानी
मुख्य अतिथि सुनील बंसल 1986 बैच ने ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा
स्कूल परिवार में आने का निमंत्रण मिला। मेरा सौभाग्य है।
उन्होंने निरंजन जी, कक्षाध्यपक हर्षवरूपजी, कश्मीरी सिंह जी, देवेंद्र भटनागर के अनुशासन को याद किया।
सबसे डर लगता था। स्कूल में पढ़ाई के दौरान पिन ड्रॉप साइलेंस होता था।
जब मैं 8th क्लास में पढ़ता था।
दशहरा मैदान।
छेदी के पपड़ी
खुशहाल बेकरी का क्रीम रोल
साहनी की चाय
बत्रा की किराने की दुकान
बहुत कुछ सिखा हमने इस स्कूल से।
मैं 10वीं क्लास में हॉस्टल का मॉनिटर था।
अपना कमरा स्वयं साफ करना। व्यवस्थित रखना।
मैं डायरी बनाता हूँ। स्कूल से सीखा था दैनंदिनी लिखना। प्रतिदिन स्कूल में दैनिंदिनी चेक हुआ करती थी जिस किसी की दैनिंदिनी में कुछ नहीं लिखा हुआ तथा उसे सजा मिलतो थी।
पुराने बचपन में लौट आया मै और सुनील भावुक हो गए।
मेरी स्कूल प्रबंधन को शुभकामनाएं है कि वे स्कूल के विकास में हमेशा अग्रसर रहें। मेरी रहे दिल से इच्छा है मैं स्कूल के लिए कुछ ना कुछ करूं।
स्कूल के वार्षिक उत्सव पर हास्य नाटिका रामायण पर आधारित नाटिका अहिल्या पर आधारित नाटिका और अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत हुए इन कार्यक्रम में माल खम्भ भी एक अनूठा प्रदर्शन रहा अंत में स्कूल के संरक्षक वैद्य केदारनाथ शर्मा ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और सबको रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया।