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सिर्फ बेलपत्र चढ़ाने से नहीं मिलेगी भगवान शिव की कृपा जानिए सही नियम

 श्रावण मास शुरू हो चुका है। भगवान शिव को समर्पित यह महीना शुभ माना जाता है। इस महीने में भर्त महादेव की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। भोलेनाथ की पूजन और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त कई प्रयास करते हैं। श्रावण मास में शिवलिंग की महिला बढ़ जाती है। शिवलिंग पर कुछ चीजें चढ़ाने से भगवान शंकर की कृपा प्राप्त होती है। भोलेनाथ की पसंदीदा चीजों में एक बेलपत्र है।

कैसे चढ़ाएं बेलपत्र?

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पत्तियां फटी और दाग भी नहीं होना चाहिए। कई बेलपत्रों पर चक्र और धब्बे होते हैं, जिनका प्रयोग पूजा में नहीं करना चाहिए।

बेलपत्र चढ़ाने के बाद क्या करें?

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के बाद सब्जी, तेल, दूध जैसी चीजें न चढ़ाएं। शिवलिंग पर कभी भी बिना जल चढ़ाए बेलपत्र न चढ़ाएं।

बेलपत्र कब न तोड़ें?

शास्त्रों में बेलपत्र के तोड़ने के नियम हैं। इसके अनुसार बेलपत्र को सोमवार या चतुर्दशी के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। अगर आवश्यक हो तो एक दिन पहले वृक्ष से बेलपत्र तोड़कर रख लें। मान्यता है कि सोमवार या चतुर्दशी तिथि के दिन बेलपत्र तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिवजी अप्रसन्न होते हैं।

बेलपत्र चढ़ाते समय कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने समय ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। वैदिक शास्त्र के अनुसार, बेलपत्र में जितने अधिक पत्ते हों, उतना अच्छा होता है। शिवजी को बेलपत्र चढ़ाते समय कम से कम 3 पत्ते होने चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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