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सावन के महीने का क्यों है इतना महत्व इस महीने में करें ये ज्योतिषीय उपाय

इस साल 4 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है, जिसकी समाप्ति 31 अगस्त को होगी। हिन्दू धर्म में सावन के महीने को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है और ये पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में सावन के दिनों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है और भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र, चंदन, शहद आदि अर्पित किये जाते हैं। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आइये पहले आपको बतायें कि इस महीने का विशेष महत्व क्यों है।

सावन महीने का महत्व

श्रावण मास का प्रत्येक दिन बेहद फलदायी है, लेकिन उससे भी ज्यादा श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार के दिन विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही, उस व्यक्ति को जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। मान्यता है कि सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। यही नहीं सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है।

करें ये ज्योतिषीय उपाय

दांपत्य जीवन: सावन के महीने में पति-पत्नी को साथ मिलकर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का निवारण होता है और पति पत्नी के बीच संबंध मधुर होते हैं।

आर्थिक स्थिति: अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सावन के सोमवार के दिन भोलेनाथ का अनार के रस से अभिषेक करें। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती को केसर से बनी खीर का भोग लगाएं। इससे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

मनोकामना पूर्ति: सावन के महीने में प्रतिदिन 11 व 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। इसे मान्यता है कि इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

रोजगार-कारोबार: सावन के किसी भी सोमवार के दिन माता पार्वती को चांदी की पायल चढ़ाएं। इससे नौकरी व व्यापार की बाधाएं दूर होती हैं और इसमें तरक्की होती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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