घंटों की सिटिंग से मिल रहा कई बीमारियों को न्योता
ग्वालियर। कोरोना संक्रमणकाल के बाद आनलाइन काम की संस्कृति ने जोर पकड़ी है। सरकारी हो या फिर निजी कार्यालय या मल्टीनेशनल कंपनी। सभी जगह इस संस्कृति को कंपनियों व जिम्मेदारों ने आत्मसात भी किया है। कुछ कंपनियां तो अभी भी अपने कर्मचारियों से आनलाइन काम करा रही हैं। बैंकिंग सेक्टर में इंटरनेट मीडिया के जरिए काम ने ज्यादा जोर पकड़ा है। कोरोना संक्रमण के दो भयावह साल में पढ़ाई भी आनलाइन ही हुई है।
नर्सरी के बच्चों से लेकर हायर सेकेंडरी के छात्रों ने इसी अंदाज में पढ़ाई की और परीक्षा भी आनलाइन ही दिलाई थी। कोरोना का दौर अब खत्म हो चुका है। आनलाइन कामकाज का दौर अब भी जारी है। या यूं कहें कि इंटरनेट मीडिया ने पहले की तुलना में ज्यादा जोर पकड़ लिया है। दफ्तर हो या फिर घर। स्कूल से लेकर महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र, नौकरी पेशा सभी लैपटाप, मोबाइल या फिर टैब पर व्यस्त नजर आते हैं। घर में अगर चार सदस्य हैं और सभी कामकाजी हैं तो जब तक वे घर में रहते हैं अपने लैपटाप ,मोबाइल या टैब पर ही काम करते नजर आते हैं। घर में पूरी तरह शांति। शांति भी ऐसा कि कोई घर पर है भी या नहीं यह पता ही नहीं चलता। आनलाइन कामकाज की संस्कृति लोगों की सेहत पर खराब असर डाल रहा है। लैपटाप या मोबाइल की स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने के कारण सर्वाइकल की समस्या आ रही है।
लोगों की दिक्कतें भी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी हैं। आलम ये कि आनलाइन कल्चर लोगों की हड्डियों को उम्र से पहले ही बूढ़ा कर दे रहा है। जकड़ने लगी है गंभीर बीमारी पूरे समय लैपटाप या मोबाइल के स्क्रीन पर झूककर काम करने के कारण अधिकांश लोगों में सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस बीमारी जकड़ने लगी है। आमतौर पर यह बीमारी 60 वर्ष के उम्र के बाद लोगों में देखने को मिलती थी। पर अब यह 18 वर्ष के युवाओं को भी जकड़ने लगी है। सर्वाइकल पेन। जिससे आज हर कोई परेशान है। शुरुआत में इसे सामान्य दर्द समझकर लोग हल्के में लेते हैं। धीरे-धीरे जब यह समस्या बढ़ती है और लोग डाक्टर के पास जाते हैं तब पता चलता है जिसे वह सामान्य दर्द समझ रहे थे वह सर्वाइकल पेन है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डा़ जितेंद्र शर्मा का कहना है कि सर्वाइकल शरीर का एक हिस्सा है।
इस बीमारी में गर्दन की हड़डियों के जो जोड़ होते हैं उसमें अंतराल बढ़ने लगता है। हड्डियों का क्षरण शुरु हो जाता है। जब यह बीमारी उम्र के साथ होता है तो सामान्य समस्या है। कम उम्र में यह समस्या हो तो उसे गंभीर माना जाना चाहिए और इस पर गंभीरता के साथ सोचना भी चाहिए। इसके लिए जो बातें जिम्मेदार है उसे नजरअंदाज करना ही बेहतर होता है। क्या है सर्वाइकल एक ही स्थिति में घंटों बैठे रहना, सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस की सबसे बड़ी वजह है। लोग एक ही स्थिति में घंटों मोबाइल,लैपटाप व टैब पर काम करते बैठे रहते हैं। इसके कारण गर्दन की मांसपेशियों का क्षरण होने लगता है। रीढ़ की हड्डी को लंबे समय से झुककर बैठे रहने से भी यह दिक्कतें आती हैं।
यह तरीका अपनाना है जरूरी
– नियमित रूप से व्यायाम करें, इसमें मांपेशियां मजबूत होंगी। द्यगर्दन और कंधों से जुड़ी एक्सरसाइज करें।
– बैठते वक्त रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
– लगातार सिर झुकाकर न बैठें।
– अगर आप ऐसी जगह काम कर रहे हैं जहां अधिकांश समय कुर्सी पर बैठकर ही काम करना पड़ता है तो ऐसी स्थिति में थोड़े-थोड़े समय में कुर्सी से उठकर चहलकदमी करें।
– कंप्यूटर या लैपटाप पर काम करते वक्त कोहनी के नीचे कुशन या आरामदायक कपड़ा जरूर रखें।
– मोबाइल का सीमित उपयोग करें। काम के दौरान गर्दन को सीधा रखें।
– कोरोनाकाल के बाद लगभग कंपनियों ने अपने काम को आनलाइन कर दिया है। इससे कंपनियों का तो काम आसान हुअा, लेकिन दर्द कर्मचारियों का बढ़ा हैं।