मप्र के मेडिकल कालेजों में पहली बार नई तकनीक से की गई फेंफड़ों के कैंसर की जांच
जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज जबलपुर स्थित स्कूल आफ एक्सलेंस इन पल्मोनरी मेडीसिन में 07 एवं 08 जुलाई को एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड विषय पर हैंड्ज आन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस वर्क शाप में प्रदेश के शासकीय मेडिकल कालेजों में पहली बार एंडो ब्रोंकियल अल्ट्रा साउंड तकनीक से फेफड़ों के कैंसर की जांच की गई। इसके लिए आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के वरिष्ठ फ़ैकल्टी डाक्टर पवन तिवारी द्वारा सीनियर रेज़िडेंट एवं एम डी छात्रों को लाइव कार्यशाला में हैंड्ज आन प्रशिक्षण दिया गया। डाक्टर तिवारी के साथ स्कूल के डायरेक्टर प्रोफेसर डा. जितेन्द्र भार्गव, असोसिएट प्रोफेसर डा. वीरेंद्र आर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. शुभम मिश्रा द्वारा नयी तकनीक से पाच मरीजों की जांच की गई। एनसथीसिया का सहयोग वरिष्ठ निश्चेतना विशेषज्ञ असोसीयट प्रोफेसर डाक्टर नीरज नारंग एवं सीनियर रेज़िडेंट डाक्टर शिखा जैन द्वारा प्रदान किया गया।
छह सीटों पर जल्द शुरू होगा प्रवेश
एंडोब्रोंकियल अल्ट्रा साउंड ब्रांकोस्कोपी एवं अल्ट्रासाउंड तकनीक के मिश्रण से फेफड़ों के कैंसर की अत्याधुनिक जांच है। यह सुविधा महकौशल क्षेत्र के लिए एक नयी सुविधा है। यह जांच प्रदेश के किसी भी शासकीय मेडिकल कालेज में वाली बार शुरू की गई है। स्कूल आफ एक्सलेंस में अकादमिक सत्र 2023-24 से डीएम पल्मोनरी मेडिसिन सुपर स्पेशल्टी कोर्स की छह सीटों पर प्रवेश शुरू हो जाएगा जो कि अक्टूबर से होना संभावित है। इसके लिए नैशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा मार्च में निरीक्षण के उपरांत अनुमति दे दी गई है। स्कूल के अंतर्गत एमडी रेस्पीरेटरी मेडिसिन की आठ सीटों का संचालन पूर्व से ही हो रहा है।
राष्ट्रीय स्तर की सर्वसुविधा कर रहे विकसित
डाक्टर भार्गव द्वारा बताया गया की जबलपुर संभाग के संभागायुक्त आइएएस अभय वर्मा के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में 12 जून को स्कूल आफ एक्सलेंस के नए भवन में नतीजों का उपचार आरंभ कर दिया गया। पल्मोनरी मेडिसिन एवं टीवी से संबंधित मरीजों को समर्पित पैथालाजी, माइक्रोबायोलाजी एवं बायोकेमिस्ट्री लैब भी शुरू कर दी गई हैं। डाक्टर भार्गव ने आगे बताया कि मध्य प्रदेश शासन की योजना अनुसार स्कूल आफ एक्सलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन को राष्ट्रीय स्तर के सर्वसुविधा युक्त केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है, जिसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं तथा अगले डेढ़ दो वर्षों में इसके पूर्ण रूप से विकसित होकर देश के अग्रणी संस्थानों के रूप में कार्य किया जाना लक्षित है। कार्यशाला के आयोजन में सीनियर रेजिडेंट्स डाक्टर पौर्णमी बालासुंदरम, डाक्टर हेमा कृष्णा, एमडी छात्र डाक्टर नवीन शर्मा, डाक्टर आदित्य तिवारी एवं डाक्टर सार्थक तथा एंडोस्कोपी सूट की स्टाफ नर्स सीमा डेहरिया एवं स्मिता बोरकर द्वारा उल्लेखनीय सहयोग प्रदान किया गया।
नहीं जाना होगा मरीजों को महानगरों की ओर
डाक्टर भार्गव ने बताया कि उक्त सुविधा आगे भी निरंतर नतीजों को उपलब्ध करायी जाएगी तथा आयुष्मान योजना के अंतर्गत इस जाँच को जोड़ने के लिए संभागायुक्त डाक्टर अभय वर्मा के माध्यम से शासन को अनुरोध किया जाएगा ताकि गरीब मरीजों को इसका लाभ मिल सके। स्कूल में आगामी माह के अंत तक नवीनतम स्लीप स्टडी तरह नेवीगेशनल ब्रांकोस्कोपी सुविधा शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है। डाक्टर भार्गव ने आगे बताते हुए भरोसा जताया कि निकट भविष्य में महकोशल एवं प्रदेश के पलमोनरी मेडिसिन से संबंधित मरीजों को उपचार के लिए महानगरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।