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मंदसौर के सीतामऊ का कोटेश्वर महादेव मंदिर उपेक्षा की वजह से खो रहा अपनी चमक

सीतामऊ। अंचल का अतिप्राचीन श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर कुछ वर्षों में उभरा है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी कहे या जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से वह स्थान नहीं मिल पा रहा है जिसका यह हकदार है। सुव्यवस्थित योजना बनाकर प्राचीन मंदिर एवं आसपास के रमणीय क्षेत्र का जीर्णोद्धार किया जाए तो मंदसौर जिले ही नहीं, आसपास के क्षेत्र से कई पर्यटक यहां निश्चित पहुंचेंगे।

करीब 400 साल पुराना है यह मंदिर

अभी श्रावण मास चल रहा है और तमाम शिवालयों में भक्त पहुंच रहे हैं। ऐसे में सीतामऊ से आठ किमी दूर स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिर में भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस मंदिर को श्री कोडिया झर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 400 साल पुराने शिव मंदिर का जीर्णोद्धार तत्कालीन सीतामऊ रियासत के राजा रामसिंह ने कराया था। गीड़ नदी के तट पर चट्टानी क्षेत्र में स्थित मंदिर पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है।

मंदाकिनी कुंड में स्नान का महत्व

श्रावण माह में शिव भक्तों का तांता लगता है। मानसून में नदी के झरने का स्वरूप पर्यटकों को आकर्षित करता है। मध्यकालीन मालवा युग के समय से आग्नेय चट्टानों के बीच गुफानुमा मंदिर में भक्तों की मनोकामना तो पूरी होती ही है। गीड़ नदी के बीच स्थित मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोगियों के स्वस्थ होने की मान्यता भी है।

स्थानीय जानकार बताते हैं कि यहां प्रसिद्ध तपस्वी रामनाथजी महाराज ने कड़ी तपस्या भी की थी, उस समय जंगली जानवरों का भय भी क्षेत्र में बना रहता था। तत्कालीन सीतामऊ दरबार राजा रामसिंह द्वारा एक कोठी का निर्माण भी कराया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में आज वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं।

राजस्थान सहित मंदसौर, रतलाम से आते हैं लोग

जनपद पंचायत सीतामऊ द्वारा प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता है। इसमे काफी तादाद में ग्रामीण पहुंचते हैं। सीतामऊ से कोटेश्वर महादेव तक सड़क मार्ग ठीक होने से आना-जाना तो सुगम हुआ है, लेकिन अगर जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी गंभीरता से इस मंदिर एवं क्षेत्र के जीर्णोद्धार का प्लान बनाएं तो पर्यटन की दृष्टि से यहां अपार संभावनाएं छुपी है।

मानसून में मंदसौर, नीमच, रतलाम सहित राजस्थान के कई श्रद्धालु एवं पर्यटक प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने कोटेश्वर महादेव तक आते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में अब भी कई पर्यटकों की पहुंच से क्षेत्र दूर है। मंदिर समिति द्वारा जनसहयोग से एवं आत्मबल से यहां हनुमानजी का मंदिर एवं वनस्पति बगीचा बनाया गया है। कई बुनियादी सुविधाएं जुटाई हैं, लेकिन प्रशासनिक सहयोग एवं जनप्रतिनिधियों की जागरूकता की अब भी अपेक्षा है।

इंदिरा गांधी व राजमाता सिंधिया भी आ चुकी है मंदिर

मंदिर की लोकप्रियता इतनी है कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सीतामऊ क्षेत्र में आईं तो उन्होंने कोटेश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर दर्शन किए। इसके अलावा जब भी क्षेत्र में ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया आईं तो वह हमेशा श्री कोटेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचीं।

कलेक्टर, सीईओ ने शुरू की थी मास्टर प्लान की योजना

मंदिर में आने वाले भक्तों ने बताया कि दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प एवं जिपं सीईओ ऋषभ गुप्ता द्वारा कोटेश्वर महादेव का दौरा कर मास्टर प्लान बनाने की कवायद शुरू की थी, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया। तब से यह क्षेत्र अब तक विकास कार्यों की राह देख रहा है। मंदिर क्षेत्र से झरने तक आने-जाने के लिए पथरीले रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। अगर पहुंचने के लिए रास्ता बना दिया जाए तो बच्चे-बुजुर्ग भी आसानी से आ-जा सकेंगे।

सुरक्षा के मान से अगर कुछ हिस्सों में बैरिकेटिंग कर पर्यटकों के लिए नियत स्थान तय किया जाए तो दुर्घटनाएं भी कम होंगी। पुरुष एवं महिला प्रसाधन केंद्र एवं पर्यटक सहायता केंद्र बनाया जाना चाहिए। बुनियादी सुविधाएं जुटाकर इस क्षेत्र का प्रचार-प्रसार शासकीय एवं मंदिर की समिति द्वारा किया जाना चाहिए।

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