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मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में बागेश्वर धाम का दिव्य दरबार मंत्र के बाद जमीन पर लोटने लगीं महिलाएं

राजगढ़। अद्भुत है, यह भक्ति का क्षेत्र है। मुझे लग रहा है की हमारे सन्यासी बाबा को दिख रहा था की आने वाले समय में लोग संतो, ब्रह्मणों का सम्मान करना कम कर देंगे, ब्रह्मणो की कही बातो को सही नहीं मानेंगे, इसलिए दिव्य दरबार शुरू करवाया। यह बात बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने खिलचीपुर के खेल मैदान पर दिव्य दरबार के दौरान कही।

खिलचीपुर में कथा के दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजे से दिव्य दरबार की शुरूआत की। इस मौके पर उन्होंने दिव्य दरबार के बारे में जरूरी बातों की जानकारी मंच से प्रदान की। कहा कि आप सब पर्चे के लिए आए हो। चिंता मत करना जिनका पर्चा बनेगा उनसे बात होगी, जिनका पर्चों का नहीं बनेगा बनेगा वह निराश न हो। बागेश्वर धाम से अर्जी लगाएं, प्रार्थना करें, लाल कपड़े में नारियल बांधकर बाबा के नाम का घर पर ही रख दे, तुम्हारी सभी मानोकामनाएं पूर्ण होगी। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके करीब 15 लोगों को मंच पर बुलाया और उनकी समस्याएं सुनी। उनके निदान बताए।

इसके बाद दिव्य दरबार के समापन मौक़े पर कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बागेश्वर धाम के नाम के मंत्र का जाप किया। उन्होंने कहा कि वह लोगों मुटठी बांध लें, जिनके ऊपर भू-प्रेत आत्माओं का साया हो। इसके बाद उन्होंने मंत्र का जाप किया। मंत्र जाप के बाद कई महिलाएं, कुछ बच्चे अजीब तरह से घूमते, नाचते व अजीब हरकतें करते नजर आए। जिन्हें स्थानीय श्रद्धालु भूत-प्रेत आत्माओं से प्रभावित होना बता रहे थे।

कामखेड़ा बालाजी की तर्ज पर बड़ी संख्या में यहां ऐसे लोग घूमते हुए नज़र आए मे करीब 15 मिनिट तक यह क्रम चलता रहा। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ने कहा कि सेनापति इन्हें लेकर आओ। पांडाल में इस तरह के जितने भी प्रभावित हों, सबको लाओ। सबको मारते हुए लाओ। सेनापति इन्हें मार लगाओ।

जब इस तरह से कई महिलाएं, बच्चे मंच के सामने पहुंच गए तो पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सेनापति इन्हें बांध दो, इनका इंतजाम करेंगे। फिर उन्होंने कुछ मंत्र व पुख्ता इंतजाम करने के लिए कुछ मंत्र व उपाय बताए। बाद में कुछ उपाय व मंत्र बताकर शांत किया।

बाबा मैं हनुमान चालीसा का पाठ करता हूं, इसलिए मेरी अजी लगी है

दिव्य दरबार की शुरूआत होने के साथ ही उन्होंने कहा पंकज नाम के युवक को बुलाया। कहा कि बीच में से पंकज आ जाओ, पंकज जैसे ही मंच पर पहुंचे तो बताया की सीहोर जिले से आया हूँ. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करता हूं, इसलिए अर्जी लग गई. कथावाचक ने उनकी समस्या बताते हुए कहा की आपके काम नहीं हो रहे, व्यापार में दिक्क़त आ रही है शादिया रुक रही है।

आगे कहा आपके घर में भेरू बाबा को स्थान दें काम होगा। एक मकान का काम अधूरा है, पूरा होगा। मंच पर बागेश्वर धाम के कथावाचक ने कुलदीप को बुलाया। उसकी दिक्क़त बताते हुए कहा की आपका मन अशांत रहता है। युवक ने बताया की वह राजगढ़ से आया है तो कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा की गलत की नहीं, आप किसी गांव के हो। बाद में युवक ने सही गांव का नाम बताया।

मंच पर राजकुमारी नामक महिला को बुलाया। कहा पेट में घुटने में दर्द रहता है। घर में लड़ाई होती है। बेटा दीपक नशा करता है। उपद्रव करता है। चिंता मत करो सब ठीक होगा। शिवानी नामक बालिका को मंच पर बुलाया। शिवानी से कहा की आपके पेट में दर्द, रहता है। 22 मार्च 2026 तक समस्या हल हो जाएगी। कोई प्रेत बाधा नहीं है, कुल देवता की पूजन करें। मंत्र का जाप करें, घर के बाहर ध्वज लगाए।

तुम जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो

मंच पर उन्होंने कामखेड़ा की पूजा नामक महिला को बुलाया। उससे कहा की घर में विवाद होता है। पति की संगत खराब है। वह शराब बहुत पीते हैँ, पर चिंता मत करो आराम लगेगा। वैष्णवी नामक बालिका को बुलाया। कहा की बहुत कमजोर है। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। पूरा परिवार उन्नति करेगा, पितृदोष है। एक युवक को बुलाया। उसे उसकी समस्या बताते हुए है कहा कि तुम जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो।

दिलीप नामक युवक को भीड़ से बुलाया उसकी समस्या बताते हुए कहा आपके बेटे को दिक्क़त है। बोलता नहीं है। पागलो की तरह हरकत करता है। देवी की फटकार है। 40 प्रतिशत आराम लगेगा। कई जगह आप घूम चुके, लेकिन आराम नहीं लगा. अब आराम लग जाएगा। ब्यावरा के रितेश अग्रवाल को बुलाया. कहा की जो चश्मा लगा रखा वह आ जाए। रितेश से कहा की फैक्ट्री की समस्या लेकर आए हो। रितेश ने कहा की हां, दो फैक्ट्री है वह चल जाए यही निवेदन है।

तुम्हारा लवेरिया चल रहा है, सफल होगा

एक युवक को उन्होंने बीच में से बुलाया। कहा तुम्हारा लव का चक्‍कर चल रहा है। उसके चक्‍कर में पड़े हो। गलत संगत छोड़ दो, तुम्हारा लव सफल होगा। इसके बाद छापीहेड़ा के युवक को बुलाया।

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