विशेष
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
मध्यप्रदेश

30 जून की सफारी के बाद बंद होंगे बांधवगढ़ के गेट एक अक्टूबर को खुलेंगे

उमरिया। जून के आखिरी दिन शाम की सफारी के बाद प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के गेट भी पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाएंगे। पार्क के कोर जोन में अब तीन महीने तक पर्यटकों की चहलकदमी नहीं होगी, जिससे बाघों को एकांतवास का आनंंद मिल सकेगा। हालांकि इस दौरान बांधवगढ़ के बफर में सफारी शुरू रहेगी और बफर में घूमने वाले पर्यटक रैनी सीजन में भी सफारी का आनंंद उठा सकेंगे।

बाघों का संसर्ग काल

वर्षकाल में पार्क बंद करने की कई वजह होती हैं जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वजह यह बताई जाती है कि इस समय बाघ बाघिन साथ रहते हैं। इस दौरान बाघ और बाघिन ज्यादा खुंखार हो जाते है यही कारण है कि उनके एकांत में पर्यटकों की वजह से खलल न पड़े इसलिए पार्क बंद कर दिया जाता है। वन्य प्राणी प्रेमी नरेन्द्र बगडि़या का कहना है कि वर्षाकाल के तीन महीने पार्क पूरी तरह से बंद रखा जाना चाहिए ताकि वन्य प्राणी सुकून के

साथ रह सकें।

यह भी है कारण

जंगल के अंदर कच्चे रास्तों पर पर्यटकों के वाहन चलते हैं। बारिश के दौरान कच्चे रास्ते वाहनों के लिए अनुकूल नहीं रहते। बारिश के दौरान जंगल के अंदर वाहनों के कच्चे रास्तों में फंसने से किसी तरह का कोई हादसा न

हो जाए इसका भी भय बना रहता है। यह भी एक कारण है कि बारिश के दौरान जंगल के अंदर सफारी नहीं कराई जाती और पर्यटन को बंद कर दिया जाता है।

नहीं पसंंद करते दखल

बाघ स्वभाव से न सिर्फ आलसी होते हैं बल्कि शर्मीले भी होते हैं। यही कारण है कि बाघ अक्सर अकेले रहना पसंद करते हैं। कुछ समय पहले बांधवगढ़ के मगधी जोन में एक बाघ ने सांभर का शिकार किया। इसी दौरान वहां

पर्यटकों के वाहन पहुंच गए। बाघ पर्यटकों को देखकर अपने शिकार को एकांत की तरफ ले जाने लगा। अपने शिकार के साथ पर्यटकों के सामने इस तरह आए बाघ की हरकत से समझने की आवश्यकता है कि जंगल में मनुष्य के दखल को कम किया जाना कितना आवश्यक है। हालांकि इसके विपरीत पर्यटन विभाग मनुष्य का जंगल

में दखल लगातार बढ़ाता जा रहा है।

बफर में होगी सफारी

एक जुलाई से मध्यप्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व बंद हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी जंगल में वनराज को सुकून नहीं मिल सकेगा। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में सभी पार्क के कोर जाेन भले ही पर्यटकों के लिए बंद हो रहे हैं

लेकिन बफर जोन बारिश में भी खुले रहेंगे। इतना ही नहीं जिन पार्कों के बफर जोन में नाइट सफारी होती है वहां बारिश में भी नाईट सफारी पूर्ववत जारी रहेगी। यानी न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी वनराज का आराम हराम

रहेगा। वन्य प्राणी प्रेमी वर्षाकाल के दौरान बफर में पर्यटन को पूरी तरह से गलत मानते हैं और इसका विरोध भी करते हैं।

कारोबार की चिंता

कोर जोन में पर्यटन बंद होने के नियमेां को ध्यान में रखते हुए होटल और जिप्सी संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने बीच का रास्ता निकाल लिया है। कोर जोन में जो नियम आड़े आते हैं वह बफर में नहीं आते और यही

कारण है कि बफर जोन में वर्षाकाल में भी सफारी जारी रहेगी। इसके अलावा नाईट सफारी का आनन्द भी पर्यटक उठा सकेंगे। बफर में पर्यटन जारी रहने से पार्क क्षेत्र में कारोबार करने वाले छोटे व्यापारियों को भी इसका लाभ

मिलेगा और उनका घर भी चल सकेगा।

Related Articles

Back to top button