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विदेशी दौरों में अब तक इन मस्जिदों में जा चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा के बाद मिस्र पहुंचे तो राजधानी काहिरा की एक ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का भी दौरा किया। पीएम मोदी का इस मस्जिद में पहुंचना काफी सुर्खियों में रहा। कुछ समय पहले तक यह मस्जिद काफी जर्जर अवस्था में थी और 11वी सदी की अल-हाकिम मस्जिद मरम्मत का काम भारत में रहने वाले दाउदी बोहरा समुदाय के लोगों की मदद से पूरा किया गया है। अल-हाकिम मस्जिद की निर्माण कला व नक्काशी बेजोड़ है। ऐसा पहली बार नहीं है कि पीएम मोदी ने किसी मस्जिद का दौरा किया हो। अपने विदेश दौरे के दौरान प्रधानमंत्री इन मस्जिदों में भी जा चुके हैं –

चूलिया मस्जिद, सिंगापुर (जून 2018

साल 2018 में जब प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने यहां कई धार्मिक स्थलों का दौरा किया था। तीन दिन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मरियम्मन मंदिर पहुंचे, जो सिंगापुर का प्राचीनतम हिंदू मंदिर है। इसके बाद पीएम मोदी चूलिया मस्जिद गए। इस मस्जिद का निर्माण भारत के कोरोमंडल तट के चूलिया मुस्लिम व्यापारियों द्वारा 1826 में निर्मित किया गया था।

इस्तिकलाल मस्जिद, इंडोनेशिया (मई 2018)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2018 में ही इंडोनेशिया की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर गए थे। इस दौरान वे इस्तिकलाल मस्जिद पहुंचे थे। इस्तिकलाल मस्जिद दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो भी थे। तब प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा था कि ‘‘दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक इस्तिकलाल मस्जिद जाकर बहुत प्रसन्न हूं।’’

सुल्तान कबूस मस्जिद, ओमान (फरवरी 2018)

साल 2018 में 3 देशों के दौरे के आखिरी पड़ाव के दौरान जब ओमान पहुंचे थे तो उन्होंने यहां 200 साल पुराने शिव मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे। इसके बाद पीएम मोदी ओमान की सबसे बड़ी और मशहूर सुल्तान कबूस मस्जिद भी गए। इस मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व भी है।

शेख जायद मस्जिद, यूएई (अगस्त 2015)

साल 2015 में जब पीएम मोदी यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) की यात्रा पर गए थे तो अबू धाबी की शेख जायद मस्जिद में दौरा किया था। शेख जायद मस्जिद दुनिया की 10 बड़ी मस्जिदों में शामिल है। सफेद रंग की शेख जायद मस्जिद की कारीगरी काफी बेजोड़ है। इस मस्जिद के निर्माण के लिए मोरक्को, तुर्की, भारत, मलेशिया, चीन, ईरान सहित कई देशों के कारीगरों को बुलाया गया था।

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