पीएचडी प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने पर प्रभारी कुलसचिव सहित पांच पर एफआइआर
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रवेश परीक्षा-2022 की ओएमआर शीट में कांट-छांट कर अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण दर्शाने पर उज्जैन लोकायुक्त ने बुधवार को प्रभारी कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक, सहायक कुलसचिव वीरेन्द्र उचवारे, प्रोफेसर गणपत अहिरवार, पीके वर्मा और वायएस ठाकुर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली।
सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, पदीय कर्तव्य का दुरुपयोग करने, ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करने की धारा में प्रकरण दर्ज किया है। शिकायतकर्ता मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव एवं अभिभाषक बबलू खिंची ने कहा है कि जो बच गए हैं, उन्हें कोर्ट के माध्यम ये आरोपित बनाया जाएगा।
मालूम हो कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा परिणाम आने के कुछ सप्ताह बाद बबलू खिंची ने परीक्षा की ओएमआर शीट में कांट-छांट कर अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण कराने के दस्तावेज मीडिया को साझा किए थे। एक प्रति कुलसचिव प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय को भी उपलब्ध कराई थी।
प्रदर्शन कर मामले में लिप्त जिम्मेदार कुलसचिव, उपकुलसचिव, स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के प्रोफेसर, गोपनीय विभाग के जिम्मेदार प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई दर्ज कराने की मांग की थी। यहां तक कहा था कि अपने चहेतों को पास कराने में विश्वविद्यालय ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
कई परीक्षार्थियों से परीक्षा में ओएमआर शीट रोल नंबर लिखवाकर खाली जमा कराई और बाद में वीक्षकों से सही उत्तर वाले स्थान पर काले गोल घेरे भरवाए गए। इसके बाद कुलपति ने प्रकरण की जांच के लिए समिति बनाई। जांच कमेटी की रिपोर्ट अब तक कार्य परिषद के पटल पर नहीं आई है।
न ही अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। विभागीय रूप से कार्रवाई न होने पर खींची ने लोकायुक्त में शिकायत की। इसे संज्ञान में लेकर लोकायुक्त ने विश्वविद्यालय से सभी आवश्यक दस्तावेज प्राप्त किए। सभी आरोपितों से पूछताछ की। जांच महीनेभर चली।
बताया कि फिजिक्स डिपार्टमेंट में लेक्चरार प्रो. गणपति अहिरवार तब स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के डायरेक्टर थे। प्रो. पीके वर्मा तब इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डीन थे। प्रो. ठाकुर तब से लेकर अब तक प्रोफेसर हैं। लोकायुक्त निरीक्षक दीपक सेजवार ने कहा कि एफआइआर दर्ज की है। विवेचना उपरांत कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया जाएगा।