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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
मध्यप्रदेश

पन्ना टाइगर रिजर्व की लकवाग्रस्त बाघिन का वन विहार भोपाल में चल रहा इलाज

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी- 234 के अचानक लकवाग्रस्त हो जाने से उसके दो नन्हे शावकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बाघिन को इलाज के लिए शुक्रवार 9 जून को दोपहर में पन्ना से वन विहार भोपाल ले जाया गया है, जहाँ बाघिन का इलाज जारी है। मां की गैरमौजूदगी में उसके नन्हे शावकों की देखरेख के लिए पार्क प्रबंधन ने वन कर्मचारियों को तैनात किया है, जो शावकों की निगरानी कर रहे हैं।

29 मई को अपने दो नन्हे शावकों के साथ अठखेलियां करते हुए देखी गई थी। बाघिन पी- 234 बीते माह 29 मई को अपने दो नन्हे शावकों के साथ अकोला बफ़र क्षेत्र में अठखेलियां करते हुए देखी गई थी। यह खुशखबरी पार्क प्रबंधन द्वारा सोशल मीडिया में साझा किया गया था, जिससे वन्य जीव प्रेमी बेहद खुश और उत्साहित थे। लेकिन इस खुशखबरी के कुछ दिन बाद ही यह दुःखद खबर आ गई जो चिंता में डालने वाली है।

अकोला बफ़र क्षेत्र में भ्रमण के दौरान पर्यटकों ने बीते रोज जब दोनों पैरों को घसीट कर चलती हुई बाघिन पी- 234 को देखा तो उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाल दिया गया जो वायरल हो गया। जानकारी मिलते ही पार्क प्रबंधन भी तुरंत सक्रिय हो गया तथा बाघिन का प्राथमिक उपचार करने के साथ उसे ट्रेंकुलाइज कर इलाज के लिए भोपाल भिजवाया गया।

भोपाल में विशेशज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघिन का इलाज किया जा रहा है। पीटीआर के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार की रात में ही बाघिन वन विहार भोपाल पहुँच गई है जहाँ विशेशज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघिन का इलाज किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता भी बाघिन के साथ भोपाल गए हैं तथा बाघिन की हालत में सुधार होने तक वहीं रहेंगे।

आपने बताया कि बाघिन पीछे के पैरों पर जोर नहीं डाल पा रही है, यह सब यकायक हुआ है। लेकिन बिना देरी के चूँकि इलाज भी तुरंत शुरू हो चुका है इसलिए जल्दी रिकवरी की उम्मीद है। हालात में सुधार होने पर बाघिन पी- 234 को पन्ना लाकर अकोला बफ़र में उसके बच्चों के पास छोड़ा जायेगा।

बाघिन पी- 234 के कुनबे से आबाद है अकोला बफ़र

पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर का आकर्षण बाघिन पी- 234 तथा उसका भरा-पूरा कुनबा है। मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व की संस्थापक बाघिन टी-2 जिसे मार्च 2009 में कान्हा से पन्ना लाया गया था, इस बाघिन ने जुलाई 2013 में चार शावकों को जन्म दिया था। इन्हीं शावकों में से एक बाघिन पी-234 है, जिसके कुनबे ने अकोला बफर को गुलजार किया हुआ है। इस बाघिन ने नर बाघ टी-7 के साथ मिलकर अपने कुनबे को बढ़ाया है। इसी बाघिन की बेटी पी-234 (23) ने अकोला बफर क्षेत्र में ही जनवरी 2021 में तीन शावकों को जन्म दिया था। इस तरह से बाघिन पी- 234 के कारण ही अकोला बफर बाघों से आबाद हुआ जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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