सोच बदलनी होगी – ऐसा क्यों औरत ही औरत की दुश्मन !
सोच बदलनी होगी
औरत ही औरत की दुश्मन क्यों
क्योंकि महिलाओं में पिहर की बड़ाई का खेल चलता रहता है।
यदि यह खेल बंद हो जाए और यह खेल चले कि जो साथ में रहता है उसकी सकारात्मक विचारों से प्रशंसा – बढ़ाई करते हुए जीवन यापन किया जाए तो सुख ही सुख है।
सास बहू का झगड़ा प्राचीन काल से सुनते आ रहे है।
इस सास बहू के झगड़े को जब तक सास बहु को बहू समझेगी और बहू सास को सास समझेगी। (हालांकि ऐसा नहीं सोचना बहुत कठिन है )
झगड़े चलते ही रहेंगे …
सास चाहती है कि बहू मेरे कहने में चले और बहु चाहती है कि मैं मेरी आजादी स्वच्छता से चलूं। सास अपनी कमांड के चक्कर में हमेशा यही व्यंग करती है बहू पर, कि मुझसे जुबान लड़ाती है क्या,
क्या दिया है तेरे घर वालों ने। तेरी क्या औकात है हमारे सामने।
यह सारे शब्द बहू के कानों में जब प्रतिदिन पड़ते हैं तो सास बहू के पवित्र रिश्ते का बिगड़ना स्वाभाविक है।
सास को हमेशा शांत, हंसमुख, समझदार, दया करने वाली, बहू को बेटी समझने वाली प्रकृति का होना चाहिए लेकिन इस सब के विपरीत औरत व्यवहार करती हैं।
यह सोच बदलनी होगी …..
हर बात में अपनी पिहर की बढ़ाई करना गलत है।
चाहे वह सास हो या बहू
यह सासरे और पिहर की बढ़ाई और बुराई ही क्लेश का जड़ है। आजकल की महिलाओ को सोच बदलनी होगी कि परिवार को तनाव का माहौल देकर सुख की जिंदगी की कामना कैसे की जा सकती है।
हमें इस पर सोच विचार करना होगा कि संस्कारों और अनुशासन में रह कर ही सुख की जीवन शैली व्यतीत की जा सकती है।
सोच बदलो
नए अंदाज से जिंदगी की शुरुआत करो।
संपर्क सूत्र डॉ मान सिंह भांवरिया मो 96727 77737
- सोच बदलनी होगी कि पति पत्नी में अलगाव से क्या दुष्परिणाम सामने देखने को मिल रहे हैं मनमुटाव की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है जिसका सीधा प्रभाव उनके साथ रह रहे सदस्यों पर पड़ता है परिवार के तनाव ग्रस्त रहने से सबसे पहले परिवार उसके बाद समाज का और फिर देश के विकास में बाधा आती है।
- स्त्रियां अब यह नहीं सोच रही हैं उनका असली दायित्व क्या है परिवार की मर्यादा में रहकर जीवन यापन के नियमों को किनारे कर अपनी दुनिया में मग्न रहने लगी हैं।
- स्त्री का विवाह के बाद तो उसका असली खानदान अब वह है जहां पर वह शादी होकर आई है यह सोच जब एक महिला की होगी तभी वह परिवार के साथ में सार्थक भूमिका निभा सकेगी और एक खुशहाल और संस्कारित माहौल बना सकेगी।
- अब चूंकि महिलाओं की भागीदारी केवल गृहस्थ की गाड़ी के ड्राइवर के अलावा कारोबार और धन उपार्जन में भी होने लगी है इसलिए भी महिलाएं अपनी असल भूमिका नहीं निभा पा रही।
- संपर्क सूत्र : डॉक्टर मान सिंह भांवरिया मो 9672777737