इंसानी लालच इंसान की जानलेवा हरकतों पर भी उतारू
रक्त तस्करी न केवल धन का लालच है बल्कि घिनौना कृत्य है।
एक तरफ समाज से विशेषताएं और आमजन एक-एक नागरिक रक्तदान महादान के नारे को सरकार करने में चित्तौड़ कोशिश कर रहा है वहीं रक्त की दलाली करने वाले लोग इस रक्तदान महादान को कलंकित करते नजर आ रहे हैं हाल ही जोबनेर थाना क्षेत्र में 255 यूनिट्स की तस्करी का भंडाफोड़ पुलिस ने किया। ऐसी घटनाएं एक संगठित गिरोह का रूप ले चुकी है जो स्वास्थ्य से जुड़े समूचे तंत्र के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है।
गौरतलब है कि इस तस्करी में कई बार निजी अस्पतालों के नाम भी सामने आते हैं, जो दान में मिले खून से मोटा मुनाफा कमाते हैं। ऐसे में रक्तदान करने काले व्यक्ति के दिल में यह डर और चिंता स्वाभाविक है कि कहीं उनका खून भी इस तस्करी का हिस्सा तो नहीं बन गया।
यह यथार्थ सच भी है कि प्रदेश के विभिन्न शहरों में ब्लड बैंक बेहतर काम भी कर रहे हैं। वहीं कई सामाजिक संस्थाएं बढ़-चढ़ कर रक्तदान शिविरों का आयोजन कर रकदान महादान के नारे को सार्थक करने में जुटी हैं।
रक्त की तस्करी का अपराध क्षमा योग्य नहीं है और रक्त तस्करों और इनसे जुड़े कारोबारियों को सख्त सजा देने की जरूरत है।
ब्लड बैंकों की मान्यता से लेकर इनके जरिए अस्पतालों तक रक्त पहुंचाने की व्यवस्था को पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत है। ब्लड बैंकों में प्रत्येक सप्ताह ब्लड स्टॉक और उसकी सप्लाई की जांच की जानी चाहिए।
यह जरूरी है कि अस्पतालों में मरीजों व उनके परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये कारोबारी दवा व रक्त दिलाने का झांसा देकर अवैध वसूली करते है।