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चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
मध्यप्रदेश

रहना था कार्यकर्ता के घर मजबूरी में पहुंचे होटल

इंदौर। भाजपा ने मेरा बूथ-सबसे मजबूत अभियान तो बहुत जोर-शोर से शुरू किया, लेकिन इसमें पार्टी के जिम्मेदारों ने ही अरुचि दिखाई। इंदौर में महाराष्ट्र से 24 विस्तारक आए थे। संघ की तरह हर विस्तारक के ठहरने और भोजन आदि का प्रबंध किसी कार्यकर्ता के घर ही कराना था। इसकी जिम्मेदारी मंडल अध्यक्षों को दी गई थी, लेकिन संगठन का ऊपर से बनाया गया यह कार्यक्रम चौपट हो गया। अधिकांश विस्तारकों को होटल में ठहराया गया। उधर विस्तारकों ने भी काम के बीच उज्जैन और नलखेड़ा घूमने का कार्यक्रम बना लिया। कुल मिलाकर न स्थानीय पदाधिकारी अपनापन बना पाए, न विस्तारक जुड़ पाए। बड़े नेताओं को समझने की जरूरत है, निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिले बिना रिपोर्ट कितनी वास्तविकता के नजदीक होगी?

दूध की राजनीति में किस्मत के मोती

राजनीति की शुरुआत कहीं से भी हो सकती है। छात्र राजनीति, किसान राजनीति, कर्मचारी राजनीति… वगैरा-वगैरा। फिर यहां से मुख्य धारा की राजनीति की ओर प्रस्थान। पर हम बात कर रहे हैं दूध की राजनीति की। जी हां, दूध से भी आप मुख्य धारा की राजनीति में मलाई जमा सकते हैं। इस समय ऐसी राजनीति की ओर अग्रसर हैं इंदौर सहकारी दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल। इस मामले में पटेल किस्मत के धनी साबित हो रहे हैं, क्योंकि प्रदेश के छह दुग्ध संघों में केवल इंदौर में ही निर्वाचित संचालक मंडल है और पटेल उसके अध्यक्ष। खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खेमे से संबंध रखने वाले पटेल अपनी इस किस्मत को विधानसभा चुनाव में भी आजमाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस के मौजूदा विधायक विशाल पटेल सावधान होना होगा।

तबादलों की जुलाई, अफसरों की विदाई

यह जुलाई है। मानसून के आगमन का महीना है, लेकिन दूसरी तरफ अफसरों की विदाई का महीना भी बनने जा रहा है। विधानसभा का चुनावी साल है। सरकार उन अधिकारियों का तबादला करेगी जिनको एक ही जगह तीन साल या इससे अधिक समय हो गया है। ऐसे में वह अधिकारी हिसाब लगा रहे हैं कि उनको तीन साल हो चुके हैं और जाना तय है। अपर कलेक्टर अजयदेव शर्मा, अभय बेड़ेकर, राजेश राठौर के साथ ही एसडीएम रवीश श्रीवास्तव, अंशुल खरे और मुनीषसिंह सिकरवार जैसे अधिकारी इसी श्रेणी में आ रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले आठ-दस दिन में राजधानी से तबादले का फरमान आ सकता है। सब सोच रहे होंगे कि कोई मनपसंद जिला मिल जाए तो ठीक, अन्यथा जहां भेजेंगे, वहां जाना ही है।

औपचारिकता न करना, बहना का ध्यान रखना

लगता है भाजपा को भी अब कांग्रेस की बीमारी लगती जा रही है। कुछ कार्यक्रम अब औपचारिता के लिए होते दिख रहे हैं। महाजनसंपर्क अभियान के लिए कुछ दिन पहले इंदौर आईं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं की अल्प उपस्थिति चिंता का विषय रही। बताया जाता है यह कार्यक्रम भी औपचारिकता निभाने तक सीमित रह गया। भाजपा में एक के बाद एक चुनावी कार्यक्रमों के बीच अब लाड़ली बहना योजना का प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम 10 जुलाई को इंदौर में रखा जा रहा है। यह राज्य शासन का कार्यक्रम है। इसमें लाखों महिलाओं को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम में भी सम्मानजनक उपस्थिति नहीं रही तो भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों के लिए सोचनीय स्थिति होगी। हालांकि उनका अधिकांश काम तो महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ही कर देंगी।

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