*देश की नामी कंपनियों के नाम से नकली दवाईयां बनाई*
बद्दी की ट्राईजल फार्मा में देश की कंई नामी फार्मा कंपनियों के नाम से नकली दवाईयों का उत्पादन किया जाता था।
यूएसवी व सिपला जैसी कंई फार्मा कंपनियों के नाम की नकली दवाईयों बनाकर ऊंचे दामों पर बाजार में सप्लाई की जाती थी। इस बात का पता नकली दवा के मुख्य सप्लायर मोहम्मद ईदरीश ने पूछताछ के दौरान हुआ है।
जांच में यह भी सामने आया है कि झाड़माजरी स्थित आदर्श फायल प्रिंटींग प्रैस में कंई नकली फार्मा कंपनियों की दवाईयों के लेवल व फायल प्रिंट किए जाते थे।
ग्लेनमार्क व आर्या फार्मा द्वारा बनाई जा रही नकली दवाईयों के फायल भी इसी कंपनी में प्रिंट हुए हैं। ईदरीश मोहम्मद ने यह भी माना है कि उसने आदर्श फायल प्रिंटींग प्रैस से ही नकली दवाईयों के कवर व फायल आदि प्रिंट करवाए थे।
आदर्श फायल प्रिटींग प्रैस भी शक के दायरे में।
खास बात यह है कि आदर्श फायल प्रिटींग प्रैस के मालिक बृजेश के मोबाईल से प्रतिष्ठित फार्मा कंपनी का बायो डी-3 प्लस कैप्सूल के नाम से एक प्रिंट डिजाईन मिला है।
वहीं मोहम्मद ईदरीश व आदर्श फायल प्रिंटींग प्रैस के मालिक बृजेश व वीरेंद्र को नालागढ़ कोर्ट में पेश किया गया था।
राज्य औषधि नियंत्रक नवनीत है।
*क्या था मामला*
नवंबर 2022 में बद्दी में राज्य दवा निंयत्रक विभाग ने बद्दी के एक गोदाम से भारी मात्रा में नकली दवाईयां बरामद की थी। जांच के बाद पता चला कि इन दवाईयों का उत्पादन बद्दी की ट्राईजल फार्मा कंपनी में हुआ था।
ट्राईजल फार्मा कंपनी के पास किसी भी प्रकार कोई भी लाईसैंस नहीं था। कंपनी का मालिक मोहित बंसल यहां पर नकली दवाईयों का उत्पादन करके आगरा आदि जगहों पर भेजता था। मोहित बंसल भी इस मामले में गिरफ्तार हो चुका है।
फरवरी 2023 में वारावाणी में भारी मात्रा में नकली दवाईयां पकड़ी गई थी। इन दवाईयों का उत्पादन बद्दी की साईपर फार्मा कंपनी में हुआ था।
पुलिस व राज्य दवा नियंत्रक विभाग ने फार्मा कंपनी की मालिक रजनी भार्गव को गिरफ्तार किया था। कंई दिनों से रजनी भार्गव जेल में थी। साईपर फार्मा कंपनी के पास ड्रग लाईसैंस था, लेकिन अधिक पैसे कमाने के लालच में कंपनी की मालिक ने नकली दवाईयों का उत्पादन शुरू किए था।
केसी ओवरसीज कंपनी पर भी की कार्यवाई
पंचकूला की कच्चा माल सप्लाई करने वाली केसी ओवरसीज प्राईवेट लिमिटेड के संचालकों से भी पूछताछ की गई। कंपनी पर आरोप है कि दवाईयों में प्रयोग होने वाला लोकल संस्था माल नामी कंपनियों के नाम से बेचा जा रहा था।
विभाग ने कंपनी से बिल की पूरी डिटेल मांगी है और यह भी पूछा है कि वह कहां कहां पर दवाईयों का कच्चा माल सप्लाई करते थे।