आपातकाल की यातनाओं का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया की लाइब्रेरी में आज भी है सुरक्षित
खंडवा। मीसाबंदी के काले अध्याय और यातनाओं का रिकार्ड आज भी आस्ट्रेलिया की एक लाइब्रेरी में सुरक्षित है। सरकार को इसे भारत लाना चाहिए। यह कहना है मीसाबंदी और लोकतंत्र सेनानी संघ के जिला संयोजक सुरेंद्र अग्रवाल का। नईदुनिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद सत्ता में आई मोरारजी भाई देसाई की सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान की गई तानाशाही, प्रजातंत्र पर प्रहार, विपक्ष के साथ हुई बर्बरता और अत्याचारों की जांच के लिए शाह कमीशन का गठन किया गया था।
इसका रिकॉर्ड जनता दल की सरकार के जाते ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नष्ट करा दिया था। ऐसे में उस समय यातना झेलने वालों के अनुभव, पुस्तकों व अखबारों में दर्ज घटनाओं के अलावा कोई प्रमाणित दस्तावेज नहीं है।
आधी रात तक शहर के पांच लोकतंत्र सेनानी हजारीलाल अग्रवाल, बाल गंगाधर शर्मा, चंद्रभान गाभा, धरमचंद मेहता और गोविंद प्रसाद गीते सहित कई प्रमुख लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें इंदौर जेल भेज दिया गया।
उन दिनों को याद कर आज भी रूह कांप जाती है, शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। सुरेंद्र अग्रवाल वर्ष 2018 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित लोकतंत्र सेनानियों के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में आपातकाल का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया की एक लाइब्रेरी में होने का मामला उठा चुके हैं।
तब विदेश मंत्री ने इसके लिए प्रयास करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि 26 जून को भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में मुख्यमंत्री आवास में होने वाले आयोजन में खंडवा से करीब 150 लोकतंत्र सेनानी और उनके स्वजन शामिल होंगे। इस दौरान लोकतंत्र सेनानी संघ द्वारा ऑस्ट्रेलिया से आपातकाल का रिकॉर्ड भारत लाने की मांग की जाएगी।