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राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशन भुगतान का उत्तरदायित्व राज्य सरकार वहन करे

राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशन भुगतान का उत्तरदायित्व राज्य सरकार वहन करे

जयपुर, 3 फरवरी 2025— फेडरेशन ऑफ पेंशनर्स ऑफ स्टेट यूनिवर्सिटीज ऑफ राजस्थान द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशन भुगतान की गंभीर स्थिति को उजागर किया गया। प्रेस वार्ता में विभिन्न विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों ने भाग लिया और राज्य सरकार से पेंशनर्स की समस्याओं के त्वरित समाधान की अपील की।

फेडरेशन के अध्यक्ष प्रो. एच.एस. शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार को संवेदनशीलता के साथ विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स की दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए। महासचिव प्रो. बी.के. शर्मा ने उपस्थित सभी सदस्यों का स्वागत किया और कार्यक्रम का संचालन किया.।

प्रेस वार्ता में प्रोफसर आर.बी.एल. गुप्ता, अध्यक्ष, बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफसर आर.एन. शर्मा, अध्यक्ष, जयनारायण विश्वविद्यालय एवं उपाध्यक्ष फेडरेशन, प्रोफसर बीरुसिंह राठोड़ पूर्व विधायक ने पेंशनर्स की समस्याओं की ओर ध्यान आकृषित किया तथा सरकार द्वारा त्वरित निर्णय लेने की गुहार लगाई। प्रोफसर बी.के. शर्मा, महासचिव, फेडरेशन ने सभी का स्वागत एवं मंच संचालन किया तथा प्रोफसर एन. के. लोहिया, महासचिव, रुपा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोफसर श्रवण लाल शर्मा ने मिड़िया पभारी के रुप में कार्यक्रम में भाग लिया। श्री मूलचन्द जाट का इस कार्यक्रम के संपादन में विशेष योगदान रहा। प्रेसवार्ता में निम्न तर्कों के आधार पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

पेंशन योजना की शुरुआत और वर्तमान संकट

1990 से राज्य सरकार के आदेश पर राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन योजना लागू की गई थी।

विश्वविद्यालय अब अपनी आय से पेंशन भुगतान करने में असमर्थ हैं, जिससे हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारी पेंशन से वंचित हो रहे हैं।

2. राज्य सरकार के आदेशों से आय में कमी

अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला छात्राओं की फीस माफ है, और ओबीसी छात्रों की फीस आंशिक रूप से ली जाती है।

सरकार इन रियायतों का पुनर्भरण नहीं करती, जिससे विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है।

3. अन्य राज्यों में सरकार द्वारा पेंशन भुगतान

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़ में सरकारें विश्वविद्यालयों के पेंशन का भार उठाती हैं।

4. राज्य सरकार का उत्तरदायित्व

विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, तो पेंशन का भी दायित्व सरकार का बनता है।

5. उच्चतम न्यायालय का निर्णय

न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार का ही अभिन्न अंग हैं, और उनके कर्मचारियों की पेंशन सरकार को देनी चाहिए।

6. जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय एवं कृषि विश्वविद्यालयों का संकट

2020 से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को परिलाभ नहीं मिला है।

सातवें वेतन आयोग की पेंशन पुनर्निर्धारण राशि भी अब तक नहीं दी गई।

नवंबर 2024 की पेंशन का भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है।

7. MBM इंजीनियरिंग कॉलेज के पेंशनर्स के लिए संकट

जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने अक्टूबर 2024 से 274 पेंशनर्स की पेंशन रोकने का निर्णय लिया, जो कि अमानवीय और अवैधानिक है।

इस आदेश को तुरंत निरस्त किया जाए।

8. गंभीर आर्थिक संकट में पेंशनर्स

वृद्धावस्था में आर्थिक संकट से जूझ रहे पेंशनर्स को राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाए।

9. पेंशन राशि का तुलनात्मक बोझ

8,000 पेंशनर्स को प्रतिवर्ष केवल 550 करोड़ रुपये की जरूरत है, जो कि राज्य कर्मचारियों की कुल पेंशन का मात्र 2% है।

10. पदोन्नति लाभ का मुद्दा

25 सितंबर 2021 को राजस्थान विश्वविद्यालय में पदोन्नत सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए प्रो. आई.वी. त्रिवेदी समिति की रिपोर्ट को लागू किया जाए।

फेडरेशन ने सरकार से अपील की है कि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय लिया जाए ताकि पेंशनर्स को उनका हक समय पर मिल सके और वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

प्रो. एच.एस. शर्मा

अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ पेंशनर्स ऑफ स्टेट यूनिवर्सिटीज ऑफ राजस्थान

प्रो. बी.के. शर्मा

महासचिव, फेडरेशन ऑफ पेंशनर्स ऑफ स्टेट यूनिवर्सिटीज ऑफ राजस्थान

contact number prof h s sharma Mo +91 99833 49022

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