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3 जगह से टूटी रीढ़ की हड्डी जोड़ी : बाड़मेर में पहली बार स्पाइनल सर्जरी

प्रोन पोजिशन में रख किया मरीज का सफल ऑपरेशन

3 जगह से टूटी रीढ़ की हड्डी जोड़ी:बाड़मेर में पहली बार स्पाइनल सर्जरी

बाड़मेर । अब बाड़मेर  में भी क्रिटिकल सर्जरी और जटिल ऑपरेशन भी होने शुरू हो गए हैं। गवर्नमेंट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रमेश चौधरी ने पहली बार मरीज की रीढ़ की हड्‌डी का स्पाइनल सर्जरी से पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन से किया गया। ऑपरेशन में मरीज को प्रोन पोजिशन (पेट के बल उल्टा सुलाया) में जनरल एनेस्थेसिया दिया गया।

ऑपरेशन तकनीकी रूप से जटिल होने के कारण चार घंटे का समय लगा। ऐसे ऑपरेशन संभाग के चुनिंदा हॉस्पिटल में ही होते हैं।  जिला हॉस्पिटल में अब घुटना व कूल्हे प्रत्यारोपण के साथ स्पाइनल सर्जरी की शुरुआत हाे गई है।

किस्सा यूं है कि बाड़मेर जिले के चाडार मदरूप गांव निवासी मरीज रेशमराम (56) करीब 7 दिन पहले खेजड़ी के पेड़ से नीचे गिर गया। बेहोशी की हालात में परिजन को हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में लाए। रीढ़ की हड्‌डी तीन जगह से फ्रैक्चर हो गए। रीढ़ की हड्‌डी के डी 10, डी 11 व डी 12 भाग पूरी तरह से टूट गए थे। पांच दिन तक भर्ती मरीज के सभी प्रकार की जांच करवाने के बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया गया।

डॉ. रमेश चौधरी के मुताबिक रेशमराम ऊंचाई से गिरने पर रीढ़ की हड्‌डी तीन जगह से टूट गई। इस वजह से खड़ा और बैठ नहीं पा रहा था। ऑपरेशन का प्लान किया। स्पाइनल सर्जरी से भी हिस्सों को रॉड व स्क्रू लगाकर (पेडीकल स्क्रू फिक्सेशन) जोड़ दिया गया। यह ऑपरेशन करीब चार घंटे तक चला था। ऑपरेशन में ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. सवाईसिंह राठौड़, डॉ. अशोक कुमार, एनेस्थेसिया डॉ. भीमराज सिंघवी, डॉ. अल्का लूनिया, डॉ. अजय, ओटी इंचार्ज सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ओमप्रकाश चौहान, जितेंद्रसिंह, छगन धनदे का सहयोग रहा।

डॉ. रमेश चौधरी के मुताबिक मरीज की तबीयत अच्छी है।

रीढ़ की हड्‌डी जोड़ने के लिए 10 स्क्रू और 2 रॉड लगाई गई।

ऑपरेशन में तीनों हड्डियों को जोड़ने में 10 स्क्रू और 2 रॉड लगी इनके ही सहयोग से हड्‌डी को जोड़ा गया है। ऐसे ऑपरेशन पहले बाड़मेर में नहीं होते थे। अब मेडिकल कॉलेज आने के बाद शुरू हुए हैं।

4 घंटे प्रोन पोजिशन में ऑपरेशन होता है चुनौती पूर्णसि

एनेस्थेसिया के डॉ. भीमराज सिंघवी के मुताबिक स्पाइन सर्जरी में मरीज काे प्रोन पोजिशन में जनरल एनेस्थेसिया दिया गया। उन्होंने बताया कि सर्जरी में ब्लडिंग के अधिक हाेने की संभावना काे देखते हुए बीपी काे लो रखा जाता है ताकि ब्लडिंग कम हाे और डॉक्टर काे स्पष्ट दिखाई दे। उल्टा सुलाने पर मरीज के सीने, आंखाें, पेट सहित अंगो पर दबाव अधिक बनता है इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। प्रोन पोजिशन में ऑपरेशन चैलेंजिंग रहता है।

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