विशेष
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे है न्यू एडवांसमेंट्स। जयपुर में होता है असाध्य और कठिन रोगों का आधुनिकतम और नव सृजित तकनीकों से इलाज ।
अभिव्यक्ति

आज की स्थिति बदहाल बहुत है

*अच्छी थी पगडंडी अपनी।*
*सड़कों पर तो जाम बहुत है।।*

*फुर्र हो गई फुर्सत अब तो।*
*सबके पास काम बहुत है।।*

*नहीं जरूरत बुज़ुर्गों की अब।*
*हर बच्चा बुद्धिमान बहुत है।।*

*उजड़ गए सब बाग बगीचे।*
*दो गमलों में शान बहुत है।।*

*मट्ठा, दही नहीं खाते हैं।*
*कहते हैं ज़ुकाम बहुत है।।*

*पीते हैं जब चाय तब कहीं।*
*कहते हैं आराम बहुत है।।*

*बंद हो गई चिट्ठी, पत्री।*
*फोनों पर पैगाम बहुत है।।*

*आदी हैं ए.सी. के इतने।*
*कहते बाहर तापमान बहुत है।।*

*झुके-झुके स्कूली बच्चे।*
*बस्तों में सामान बहुत है।।*

*सुविधाओं का ढेर लगा है।*
*पर इंसान परेशान बहुत है।।*

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