कम उम्र में हार्ट की बीमारियों के बढ़ने के कारण व निवारण
dr mansoor ahmed cardiac physician
कम उम्र में हार्ट की बीमारियों के बढ़ने के कारण व निवारण
कृष्णा हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मंसूर अहमद ने कहा कि
कम उम्र में हार्ट की बीमारियों के बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
गलत खाद्य पदार्थों का सेवन : युवाओं में अस्वस्थ आहार की आदतें बढ़ती ही जा रही हैं, जैसे कि फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, तला हुआ फूड और अधिक मिठास।
युवा वर्ग पहले की अपेक्षाकृत कम शारीरिक गतिविधि करते हैं उनकी इनडोर एक्टिविटी और एयर कंडीशन वातावरण की शैली बढ़ने से भी हार्ट रोग के खतरे बढ़ते हैं।
तनाव ग्रस्त मानसिकता: युवा वर्ग में पहले की अपेक्षाकृत मानसिक तनाव अधिक बढा है वह स्वयं कैरियर और जॉब की तनाव में ज्यादा रहते हैं जिससे भी उनमें हार्ट रोग के खतरे बड़े हैं।
शराब सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों का अधिक सेवन भी उनमें हार्ट समस्याओं को निमंत्रण दे रहा है।
इन कारणों के साथ, जीवनशैली में सुधार और स्वस्थ आहार की ओर ध्यान दिया जाए तो हार्ट की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।
हार्ट अटैक: यह एक तरह की हृदय धमनियों की समस्या होती है, जिसमें हृदय के एक हिस्से की रक्त की सप्लाई बंद हो जाती है, यह अक्सर अचानक होता है और तीव्र छाती में दर्द, सांस लेने में मुश्किल, उस के बाद थकान जैसे लक्षणों के साथ आता है।
यह सही है कि हार्ट डिजीज का संबंध खाद्य पदार्थों है, लेकिन यह एकमात्र आहार से प्रभावित नहीं होता है। शाकाहारी फूड (फल, सब्जियाँ, अनाज, दालें आदि) हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह कम फैट, कम कोलेस्ट्रॉल और अधिक फाइबर प्रदान करता है।
विपरीत, अधिक मात्रा में मांस खाने से हृदय स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अधिक मांस से अधिक सतत आमिलिक और फैट मिलता है जिसे खाने से कोलेस्ट्रॉल स्तर ट्राई ग्लिसराइड और एल डी एल आदि बढ़ सकता है, जिससे हृदय समस्याएँ बढ़ सकती हैं। फिश फिर भी ठीक है।
अधिक स्पाइसी फूड खाने का सीधा संबंध हृदय बीमारी से नहीं है लेकिन तेल के साथ अधिक स्पाइसी फूड हानिकारक होता है।
उन्होंने कहा कि जेनेटिकली फैक्टर इज मैन इंर्पोरटेंट दन डाइटरी फैक्टर।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं में बहुत अच्छी बात है कि वह सात्विक भोजन करते हैं इसलिए अपेक्षाकृत ज्यादा ठीक रहते हैं लेकिन मुसलमानों में भी एक बहुत अच्छी बात है कि उनकी सोच है कि जो कुछ हो रहा है अल्लाह की देन है और अल्लाह की देन यानी destiny समझ कर
बड़े से बड़े गम को भूल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि
हार्ट की बीमारी में स्ट्रेस एक बहुत बड़ा कारक है यही वजह है कि फिट दिखने वाले स्वस्थ इंसान यहां तक कि डॉक्टर भी हार्ट अटैक के अकाल शिकार हुए उन्होंने कहा कि जीवन में केवल पैसा एकत्र करने की होड़ ना करें
मस्त रहें ।
और अगर फिर भी बीमारी होती है तो डेस्टिनी मान कर भूल जाए तनाव मुक्त रहें और प्रॉपर इलाज लेवें।
हार्ट डिजीज से बचाव के लिए, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम अत्यंत आवश्यक है चाहे वह युवा हो या बुजुर्ग।
संपर्क सूत्र डॉ मंसूर अहमद मो +919414264603
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर मंसूर अहमद ने एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर से एमबीबीएस करने के बाद एम डी की उपाधि एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर और डीएम की उपाधि एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर से प्राप्त की।
वर्तमान में आप कृष्णा हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।