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मध्यप्रदेश

भगवान महादेव की बेशकीमती जमीन अब कलेक्टर के हवाले

डिंडौरी। जिला मुख्यालय में मुख्य मार्ग से लगी बेशकीमती भगवान महादेव की जमीन अब कलेक्टर के हवाले होगी। मंदिर प्रबंधन के लिए सरकारी समिति का गठन भी किया जाएगा। एसडीएम डिंडौरी रामबाबू देवांगन के न्यायालय से आदेश जारी कर तहसीलदार द्वारा वर्ष 2015 में मंदिर की जमीन को लेकर जारी आदेश निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि भगवान महादेव की जमीन तहसीलदार ने निजी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दी थी। करोड़ों की जमीन के मालिक भगवान शिव का मंदिर लंबे समय से उपेक्षा का शिकार था। आदेश जारी होने के बाद अब संबंधित स्थान और मंदिर को सामूहिक प्रयास से विकसित करने की पहल करने की बात एसडीएम ने कही है।

1948 में मंदिर के नाम दान दी गई थी जमीन

जिला मुख्यालय के यूनियन बैंक के सामने मुख्य मार्ग से लगी वर्तमान में एक एकड़ से अधिक जमीन जोकि पूर्व में महादेव शंकर मूर्ति के नाम से दस्तावेजों में दर्ज थी। आरोप है कि 7 मई 2015 को तहसीलदार डिंडौरी द्वारा आदेश जारी कर सर्वहाराकार की वसीयत के आधार पर जमीन दूसरे के नाम से दर्ज कर दिया था। इसी आदेश को एसडीएम न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। बताया गया कि 23 जून 1948 को जिला मुख्यालय निवासी आशुतोष गुप्ता के दादा स्व. भोला प्रसाद गुप्ता द्वारा लगभग एक एकड़ से अधिक भूमि भगवान शिव का मंदिर बनाने सहित धर्मशाला और धार्मिक आयोजन के लिए दान की गई थी। आरोप है कि 3 एकड़ से अधिक जमीन अन्य व्यक्ति ने दान में दिया था। वह जमीन आरोप है कि बिकने के बाद यहां मकान बन गए है। बताया गया कि संबंधित जमीन में सर्वहाराकार के तौर पर पहले श्री बाबा राम स्नेही थे। उनके बाद सर्वहाराकार में मीराबाई का नाम दर्ज हो गया। बाद में मीराबाई की वसीयत के आधार पर तहसीलदार ने मीरगंज चौराहा भेड़ाघाट जबलपुर निवासी अनूप व्यास का नाम दर्ज कर दिया।

मंदिर में नहीं होते धार्मिक आयोजन

इस मामले में शिकायतकर्ता आशुतोष गुप्ता का आरोप था,कि लगभग एक एकड़ शेष जमीन को बेचने की तैयारी थी। इसी के चलते उनके द्वारा यह मामला एसडीएम न्यायालय में लगाया गया। गौरतलब है कि संबंधित जमीन जिस भगवान शिव के नाम से दर्ज थी वहां एक भगवान शिव का जर्जर मंदिर भी है। यहां न तो धार्मिक आयोजन होते हैं, और न ही अन्य लोग जाकर पूजा पाठ कर सकते हैं। मंदिर का परिसर बाउंड्री से घिरा हुआ है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मंदिर की न तो देखभाल की जाती है और न ही यहां पूजा अर्चना होती है। इसी के चलते उनके द्वारा यह मामला एसडीएम न्यायालय में लगाया गया। बताया गया कि इसी मंदिर से खनूजा कॉलोनी की ओर पक्की सड़क भी बन गई है।संबंधित मंदिर को विकसित करने के साथ यहां धर्मशाला सहित अन्य धार्मिक स्थान विकसित करने की मांग भी की जा रही है।

इनका कहना है..

जिला मुख्यालय में मुख्य मार्ग से लगी बेशकीमती जमीन भगवान महादेव शंकर मूर्ति के नाम से दस्तावेजों में दर्ज थी। वर्ष 2015 में तहसीलदार द्वारा जो आदेश जारी कर संबंधित जमीन सर्वहाराकार मीराबाई की वसीयत के आधार पर अनूप ब्यास के नाम दर्ज किया गया था, उसे नियम विपरीत होने पर निरस्त कर दिया गया है। भगवान महादेव के नाम से दर्ज जमीन किसी व्यक्ति के नाम से नहीं हो सकती। यह जमीन अब कलेक्टर के अधीन होगी। मंदिर को विकसित करने के लिए एक अलग से समिति बनाई जाएगी। सभी के सहयोग से प्रयास किया जाएगा कि संबंधित मंदिर और स्थान को विकसित कराया जा सके।रामबाबू देवांगन, एसडीएम डिंडौरी

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