बुधवार को असली शक्ति परीक्षण एनसीपी के दोनों गुटों ने एक ही दिन बुलाई बैठक
बुधवार, 5 जुलाई का दिन शरद पवार और अजित पवार दोनों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। NCP के शरद पवार गुट और अजित पवार गुट, दोनों ने एक ही दिन अपने विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। अलग-अलग बैठकों में पहुंचनेवाले विधायकों की संख्या से तय हो जाएगा कि पार्टी में किसका पलड़ा भारी है। इस बैठक से अजित पवार के 40 विधायकों के समर्थन वाली बात की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। ऐसे में बुधवार का दिन महाराष्ट्र का राजनीति में काफी अहम माना जा रहा है।
अजित पवार की बैठक
अजित पवार समूह ने बुधवार की सुबह 11 बजे उपनगरीय बांद्रा में मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट (एमईटी) के परिसर में बैठक आयोजित की है। शिवसेना-बीजेपी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अजित पवार ने कहा था कि यह एनसीपी का सामूहिक निर्णय था और उन्हें सभी विधायकों, यानी 53 का समर्थन प्राप्त है। बाद में अजित पवार खेमे ने दावा किया कि 36 विधायकों ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। गठबंधन सरकार में शामिल भाजपा ने अजित पवार का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 40 से अधिक होने का अनुमान लगाया है।
शरद पवार ग्रुप की बैठक
शरद पवार ने दोपहर 1 बजे दक्षिण मुंबई के वाई बी चव्हाण सेंटर में विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। महाराष्ट्र राकांपा अध्यक्ष (शरद पवार ग्रुप) जयंत पाटिल ने कहा कि सभी पदाधिकारियों, राकांपा के फ्रंटल सेल के प्रमुखों, जिला इकाई अध्यक्षों, कार्य समिति के सदस्यों, तालुका स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं, विधायकों, एमएलसी और सांसदों को बैठक में भाग लेने के लिए कहा गया है। शरद पवार खेमे ने दावा किया है कि अजित समेत सरकार में शामिल हुए नौ विधायकों को छोड़कर बाकी सभी विधायक, शरद पवार के प्रति वफादार हैं। हाल ही में विधायक सरोज अहिरे, प्राजक्त तनपुरे और सुनील भुसारा, जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वे अजित पवार के पक्ष में हैं, ने शरद पवार से मुलाकात की और अपना समर्थन देने का वादा किया।
क्या है संभावना?
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 53 विधायक हैं। शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा पहले ही अजित पवार और मंत्री पद की शपथ लेने वाले आठ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर कर चुकी है। ऐसे में दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों को लागू नहीं करने के लिए अजित पवार को कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी। सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार अपनी पार्टी में संकट से निपटने के लिए कानूनी राय भी ले रहे हैं क्योंकि अजित पवार ने राकांपा और उसके चुनाव चिह्न, घड़ी पर दावा किया है।