सावन में जरूर करें शिव के प्रिय महामृत्युंजय मंत्र का जाप जानिए इसकी सही विधि और महत्व
भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है। कल सावन का पहला मंगलवार, मंगला गौरी व्रत के रूप में मनाया गया था। सावन के महीने में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के कार्य किए जाते हैं। वहीं शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों के बारे में शास्त्रों में बताया गया है, जिनमें से एक महामृत्युंजय भी है। अकाल मृत्यु के खौफ से दूर रहने और बीमारियों से मुक्ति के लिए भोलेनाथ के इस प्रिय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से देवों के देव महादेव प्रसन्न होते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव का महामृत्युंजय जाप काफी लाभकारी माना जाता है। सावन में इस मंत्र का अलग ही महत्व है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें।
किस समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें?
भगवान शिव के इस चमत्कारी महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष समय में ही किया जाता है। जब किसी व्यक्ति के जीवन में संकट चल रहा हो, अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, धन हानि आदि का डर हो तब भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। महामृत्युंजय मंत्र दो प्रकार का होता है। महामृत्युंजय मंत्र या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र। इन दोनों ही मंत्रों का जाप किया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र – ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र – ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
इस तरह करें मंत्र का जाप
भगवान शिव को रुद्राक्ष भी बेहद प्रिय है। रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप सवा लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार करना चाहिए। सावन सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से मन और आचरण के साथ-साथ वातावरण में भी शुद्धता आती है। मन को शांत करके इस मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद हवन करने का भी विधान है।
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