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अपनी जमीन नपवाने के लिए दलित किसान को खुद खरीदना पड़ी लोहे की जरीब

विदिशा। सामाजिक व्यवस्था में आज भी भेदभाव की बेड़ियां टूटने का नाम नहीं ले रही है।।इसी तरह का एक मामला जिले की लटेरी तहसील के ग्राम बापचा में सामने आया, जहां के पटवारी ने सरकारी जरीब से एक दलित किसान की जमीन का सीमांकन करने से इसलिए मना कर दिया कि इस जरीब से सिर्फ ठाकुरों की जमीन नपती है। पटवारी के कहने पर किसान को खुद के खर्च पर नई जरीब खरीदना पड़ी। इसके बाद भी जमीन की नपती नहीं हो पाई।

बापचा का रहने वाला किसान मलखान सिंह अहिरवार एक दिन पहले शनिवार को लोहे की जरीब गले में टांगकर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव के पास पहुंचा, तब जाकर यह मामला उजागर हुआ। मलखान ने बताया कि गांव में उनकी तीन बीघा जमीन है। अतिक्रमण को लेकर विवाद के बाद उन्होंने पिछले दिनों तहसील कार्यालय में जमीन के सीमांकन का आवेदन दिया था।तहसीलदार के निर्देश के बाद पटवारी गोरेलाल और एक अन्य पटवारी गांव पहुंचे थे। जब वे गांव पहुंचे तो उन्होंने अपनी जरीब से जमीन का सीमांकन करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि इस जरीब से वे सिर्फ ठाकुरों की जमीन नापते है। तुम्हारी जमीन नापने से जरीब अछूत हो जाएगी। इसके बाद उसने 1700 रुपये में लटेरी से नई जरीब खरीदी और पटवारी को दी लेकिन सीमांकन के समय गांव के 30–40 लोग आ गए और विवाद करने लगे। जिसके चलते सीमांकन नहीं हो पाया। मलखान का आरोप था कि सीमांकन के लिए उसे पटवारी ओर चौकीदार को सात हजार रुपये रिश्वत के तौर पर देना पड़ा, इसके बावजूद अब तक सीमांकन नहीं हो पाया। इधर, कलेक्टर भार्गव का कहना है कि किसान की शिकायत की जांच कराई जाएगी। तहादीलदार को 27 जून को पुलिस की मौजूदगी में किसान की जमीन का सीमांकन कराने के निर्देश दिए है।

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