चोटिल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी मैदान में जोरदार वापसी कर जीता स्वर्ण पदक
भोपाल। किसान परिवार की बेटी निधि पवैया ने अपनी प्रतिभा से नाम रोशन किया है। हाल में लखनऊ में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में घुटनों में चोट के बावजूद भी उन्होंने शाट पुट में स्वर्ण पदक जीता है। वे करीब एक साल तक चोट से जूझती रहीं। इसके बाद उन्हाेंने फिर से वापसी अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। निधि ने इस दौरान रोज आठ घंटे तक अभ्यास किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में उनकी इस साहस का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने मन की बात में ग्वालियर निवासी निधि पवैया जिन्होंने लखनऊ में हाल ही में संपन्न खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में शाटपुट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) की छात्रा निधि पवैया ने घुटने में गंभीर चोट के बावजूद शाट पुट में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की। कार्यक्रम में निधि पवैया का खेलने का वीडियाे भी चलाया गया। निधि ग्वालियर जिले के चिनौर गांव की निवासी है और उनके पिता छोटे सिंह पवैया किसान हैं। बता दें, कि निधि नवंबर 2021 में ट्रेनिंग के दौरान घुटने पर लगी चोट के चलते वर्ष 2022 तक पूरे साल खेल से दूर रही और उनका पिछला पूरा साल रिकवरी में ही गुजर गया। उन्होंने हर रोज करीब आठ घंटे तक अभ्यास किया। इसके अलावा अपना पूरा ध्यान रखा और एक्सरसाइज के साथ खाने-पीने पर ध्यान रखा।हालांकि निधि ने इस साल से दोबारा अभ्यास शुरू किया और मार्च 2023 में आल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में शाट पुट का स्वर्ण पदक जीता।
निधि तीन बहन व एक भाई हैं
निधि तीन बहन व एक भाई हैं। उनके परिवार में इकलौती लड़की हैं, जिन्होंने खेल में नाम रोशन किया है।16 साल की उम्र से ही खेलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि बचपन से ही मेरा झुकाव खेल की तरफ था।घर वालों ने काफी समर्थन किया। उन्होंने ग्वालियर विवि से बीए व एमए तक की पढ़ाई की है।
निधि की उपलब्धियां
बीयू की बीपीएड की छात्रा और मप्र राज्य एथलेटिक्स अकादमी की खिलाड़ी निधि पवैया राष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। अकादमी में मुख्य कोच संजय गणनायक और कोच संदीप सिंह के मार्गदर्शन में वे प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विवि खेल, चेन्नई में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में लखनऊ में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए क्वालीफाई किया और सीनियर फेडरेशन चैंपियनशिप में रांची में चौथा स्थान पाया।