भारत में न्याय प्रक्रिया होगी समय बद्ध
न्याय प्रक्रिया होगी समय बद्ध
हमारे देश की न्यायिक प्रक्रिया इतनी लाचार है की समय पर लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है। अदालतों में वर्षों तक तारीख दर तारीख मिलती रहती है। कई साल तक सुनवाई चलती रहती है। और कई लोग तो न्याय की उम्मीद ही खो बैठते है इस दौरान उन्हें मजबूरी में अपराधी से समझौता करना पड़ जाता है। यही बड़ी वजह है कि अपराधियों के हौसले और बढ़ जाते है और वे अपराध करने से डरते नहीं। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि मुकदमा इतना लंबा चलेगा कि परिवादी की कमर ही टूट जाएगी। कई परिवादियों की जीवन लीला ही समाप्त हो जाती हैं। लेकिन अब नए आपराधिक न्याय के कानूनों में समय बद्ध न्याय प्रक्रिया के प्रयास किए गए हैं।
पुलिस – प्रॉसिक्यूशन तथा न्यायिक प्रक्रिया, इन तीनों प्रक्रियाओं को कानूनों में, समय बद्ध किया गया है, इसके लिए 35 अलग-अलग सेक्शनों में टाइम लाइन जोड़ी हैं।
उदाहरण – अब चार्जशीट के लिए 90 दिन की ही समय सीमा है। मजिस्ट्रेट को सुनवाई समाप्त करने के बाद 45 दिन में ही निर्णय देना होगा।
पहली सुनवाई से 60 दिन में ही आरोप तय की समय सीमा है।
ये नए कानून लागू होते ही अपराधों पर अंकुश लगेगा। अपराध होने के तीन साल के अंदर पीड़ित को न्याय मिल सकेगा। पहले सालों तक न्याय नहीं मिलता मिलने से अपराधी को खौफ नहीं होता था।
पहले अपराध करने वाले को दंडित किया जाता था लेकिन इसके साथ अपराध हुआ उसे क्या मिला इस दृष्टिकोण से यह तय किया गया है कि अपराध करने वाले की अर्जित संपत्ति नीलाम की जाएगी और जिसके साथ अपराध हुआ है उसकी भरपाई की जाएगी।
जिस व्यक्ति ने पहली बार अपराध किया है जैसे हल्के अपराध चोरी चकारी , एक्सीडेंट आदि तो यह सोचा गया है कि हो सकता है उसने अनजाने में कर दिया हो उसे वापस समाज में सही तरीके से शामिल करने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि अपराध में तय सजा का वह एक तिहाई सजा काट चुका हो तो उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है, इसमें गंभीर अपराधों को बाहर रखा है जैसे बलात्कार चरस गांजा मर्डर आदि।