सोनोग्राफी : बीमारियों के निदान में अहम भूमिका — डॉ. मनोज जैन
जयपुर। महावीर डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ. मनोज जैन बताते हैं कि सोनोग्राफी (Ultrasound) आज चिकित्सा जगत में निदान और उपचार की दिशा तय करने में एक बेहद महत्वपूर्ण जांच बन गई है। यह जांच ध्वनि तरंगों (High-frequency sound waves) का उपयोग करके शरीर के आंतरिक अंगों की वास्तविक समय (Real-Time) छवि दिखाती है, जिससे डॉक्टर बीमारी का सटीक आकलन कर पाते हैं।
किन बीमारियों में सोनोग्राफी जरूरी है?
1. गर्भावस्था (Pregnancy Monitoring):
गर्भ में शिशु का विकास, दिल की धड़कन, गर्भावस्था की स्थिति, जुड़वा बच्चों का पता लगाना और किसी असामान्यता की जांच के लिए सबसे सुरक्षित तरीका है।
2. पेट और आंत से जुड़ी समस्याएं:
लीवर, गॉलब्लैडर, किडनी, पैंक्रियास, आंत आदि अंगों में सूजन, पथरी, ट्यूमर, सिस्ट, और फैटी लिवर जैसी बीमारियों का पता लगाने में मददगार है।
3. हृदय रोग (Cardiology):
इकोकार्डियोग्राफी के जरिए हृदय की कार्यप्रणाली, वाल्व की स्थिति और खून के प्रवाह का मूल्यांकन किया जाता है।
4. स्त्री रोग (Gynecology):
पेल्विक सोनोग्राफी से अंडाशय (Ovaries) और गर्भाशय (Uterus) की स्थिति देखी जाती है, जिससे फाइब्रॉइड, सिस्ट, पीसीओडी जैसी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
5. यूरोलॉजी (Urology):
किडनी, ब्लैडर और प्रोस्टेट में पथरी, संक्रमण या किसी भी रुकावट की जांच में कारगर है।
6. मस्क्युलोस्केलेटल प्रॉब्लम (Muscle & Joint Issues):
लिगामेंट, मांसपेशियों, टेंडन, जोड़ों की सूजन और चोटों का विश्लेषण किया जाता है, जो खासतौर पर स्पोर्ट्स इंजरी में सहायक होता है।
7. थायरॉइड और गर्दन के रोग:
गर्दन में स्थित थायरॉइड ग्लैंड, लिम्फ नोड्स, सलाइवरी ग्लैंड जैसी संरचनाओं में किसी भी असामान्यता की पहचान के लिए इस्तेमाल किया जाता है।