जयपुर में आयोजित 42वीं ईएनटी डॉक्टर्स कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने किए महत्वपूर्ण विचार-विमर्श
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जयपुर में आयोजित 42वीं ईएनटी डॉक्टर्स कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने किए महत्वपूर्ण विचार-विमर्श
जयपुर। राजस्थान ईएनटी डॉक्टर्स की 42वीं कॉन्फ्रेंस का भव्य आयोजन जयपुर में हुआ, जिसमें देशभर के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस से पहले आञ्जनेय ईएनटी हॉस्पिटल, सी-स्कीम में एक विशेष लाइव सर्जरी वर्कशॉप आयोजित की गई, जहां युवा चिकित्सकों ने देश के जाने-माने ईएनटी विशेषज्ञों से सर्जरी की बारीकियां सीखीं।
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कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. अंजनी कुमार शर्मा ने बताया कि 8 और 9 फरवरी को RIC, जयपुर में आयोजित इस कार्यशाला में 800 से अधिक ईएनटी डॉक्टर्स ने भाग लिया और चिकित्सा जगत की बेहतरी के लिए अपने विचार साझा किए। इस कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ पवन सिंघल, साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ तरुण ओझा, ट्रेजर डॉ दिग्विजय सिंह रावत, सह आयोजन सचिव डॉ विजय गखड़ और डॉ खुशबू जैन है।
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डॉ मान प्रकाश शर्मा के साथ डॉ देव पिंगोलिया और डॉक्टर सुरेंद्र काला
इस अवसर पर डॉ मानप्रकाश शर्मा ने आने वाली पीढ़ी को चेतावनी दी कि अपने कानों की श्रवण क्षमता को बचाना है तो इयर फोन पर क्षमता से अधिक ध्वनि का इस्तेमाल न करें।
डॉ देव पिंगोलिया ने कहा कि तेज बजने वाले लाउडस्पीकरों के आसपास ज्यादा देर ना रहे।
डॉ सुरेंद्र काला ने कहा कि मोबाइल को घंटों कान पर लगाए रखना भी कान की श्रवण क्षमता को प्रभावित करता है।
डॉ एस बी अग्रवाल ने कहा कि कानों में अनावश्यक मैल निकालने की प्रवृत्ति को त्यागे और कान और नाक को हाइजीनिक रखें। इससे कान नाक की बीमारियों से बचा जा सकता है
इस कॉन्फ्रेंस में देशभर के प्रतिष्ठित ईएनटी विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने व्याख्यान दिए—
डॉ. सतीश जैन ने क्रॉनिक राइनो साइनसाइटिस और प्रेसीजन मेडिसिन की भूमिका,
डॉ. अनिता भंडारी ने वर्टिगो और डिज़ीनेस के डायग्नोसिस और प्रबंधन पर,
डॉ. रवि रामालिंगम (चेन्नई) – मिडल ईयर सर्जरी के जटिल मामले पर,
डॉ. संपत चंद्र प्रसाद राव (बेंगलुरु) ने Paragangliomas: State of Art,
डॉ. के.आर. मेघनाध ने Principals of Coblation,
डॉ. श्रीनिवास किशोर (हैदराबाद) ने Sleep Related Breathing Disorder पर और
डॉ. विनोद फेलिक्स – New Paradigm in Endoscopic Skull Base Surgery पर व्याख्यान दिए।
ग्रॉमस ट्यूमर विषय पर कान की नस में बनने वाले ट्यूमर का सर्जिकल ट्रीटमेंट और कैंसर से बचाव की तकनीकों पर जानकारी दी।
नाक की हड्डी और ट्यूमर विषय पर बिना चीर-फाड़ के दूरबीन द्वारा ट्यूमर हटाने की नवीनतम विधियां पर प्रकाश डाला गया।
ओरल कैंसर प्रबंधन पर डॉ. राकेश कटना ने चर्चा की।
एलर्जी प्रबंधन 2025 पर डॉ. आशिम देसाई ने भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
थायरॉइड सर्जरी पर डॉ. अंजनी कुमार शर्मा ने नए अपडेट साझा किए।
यूनिवर्सल नियोनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग पर डॉ. अशोक कुमार ने इसकी महत्ता पर जोर दिया।
माइक्रो वैस्कुलर फ्री फ्लैप तकनीक पर डॉ. शशांक नाथ सिंह ने हेड एंड नेक कैंसर के मरीजों की जीवन गुणवत्ता सुधारने के तरीकों पर बात की।
मिडल ईयर रिकंस्ट्रक्शन पर डॉ. देवांग गुप्ता ने इस विषय पर अपने विचार रखे।
आयोजन अध्यक्ष डॉ पवन सिंघल ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस युवा चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी रही
इस कॉन्फ्रेंस में युवा चिकित्सकों को विशेषज्ञों के अनुभवों से सीखने का अवसर मिला। लाइव सर्जरी और आधुनिक तकनीकों की जानकारी से उन्हें अपने कौशल को निखारने का मंच मिला। विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यानों में नई खोजों, डायग्नोसिस, ट्रीटमेंट और प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं, जिससे ईएनटी चिकित्सा क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी।
इस कॉन्फ्रेंस में डॉ. प्रकाश मिश्रा, डॉ. अजीत बाफना, डॉ. मान प्रकाश शर्मा, डॉ. देव पिंगोलिया, डॉ. सुरेंद्र काला, डॉ. एस.बी. अग्रवाल, डॉ. सुनील समधानी, डॉ. अतुल मखीजा, डॉ. तरुण ओझा, डॉ. शुभकाम आर्य आदि प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने सेशन चेयरपर्सन के रूप में भूमिका निभाई।
प्रमुख विशेषज्ञ चिकित्सकों की भागीदारी
इस कांफ्रेंस में प्रमुख विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने व्याख्यान दिए—
🔹 डॉ. सतीश जैन (जयपुर)
🔹 डॉ. अनिता भंडारी (जयपुर)
🔹 डॉ. रवि रामालिंगम (चेन्नई)
🔹 डॉ. संपत के. राव (बेंगलुरु)
🔹 डॉ. मेघनाथ (हैदराबाद)
🔹 डॉ. श्रीनिवास किशोर (हैदराबाद)
🔹 डॉ. विनोद फेलिक्स (केरल)
🔹 डॉ. राकेश कटना (मुंबई)
🔹 डॉ. आशिम देसाई (मुंबई)
🔹 डॉ. अंजनी कुमार शर्मा (जयपुर)
🔹 डॉ. पवन सिंघल (जयपुर)
🔹 डॉ. अशोक कुमार (जयपुर)
🔹 डॉ. वैभव सैनी (पंजाब)
🔹 डॉ. रवि मेहर (दिल्ली)
🔹 डॉ. शशांक नाथ सिंह (जयपुर)
🔹 डॉ. देवांग गुप्ता (अहमदाबाद)
🔹 डॉ. राहुल मोदी (मुंबई)
🔹 डॉ. मार्कंडेय तिवारी (पणजी, गोवा)
🔹 डॉ. निधि पाटनी (जयपुर)
🔹 डॉ. राजीव कपिला (पंजाब)
🔹 डॉ. राजीव पचौरी (उत्तर प्रदेश)
🔹 डॉ. गुरु बक्स सिंह (दिल्ली)
🔹 डॉ. मोनिका बंसल (सूरत)
इसके अलावा, डॉ. प्रकाश मिश्रा, डॉ. अजीत बाफना, डॉ. मान प्रकाश शर्मा, डॉ. देव पिंगोलिया, डॉ. सुरेंद्र काला, डॉ. एस.बी. अग्रवाल, डॉ. सुनील समधानी, डॉ. अतुल मखीजा, डॉ. तरुण ओझा, डॉ. शुभकाम आर्य आदि प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने सेशन चेयरपर्सन के रूप में भूमिका निभाई।
कॉन्फ्रेंस के समापन अवसर पर आयोजन सचिव डॉ. अंजनी कुमार शर्मा ने सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस ईएनटी चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने में मददगार साबित होगी और युवा चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी रहेगी।
RAJAOICON 2025 के लिए अधिक उन्नत चिकित्सा तकनीकों के साथ इस कॉन्फ्रेंस के अगले संस्करण की योजना बनाई गई है।
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ईएनटी (कान, नाक और गला) रोगों के इलाज में भविष्य में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और नवाचार देखने को मिल सकते हैं।
1. उन्नत न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी
रॉबोटिक सर्जरी : रोबोट-असिस्टेड प्रक्रियाएँ अधिक सटीक होंगी, जिससे छोटे चीरों के साथ जटिल सर्जरी संभव होगी।
एडवांस एंडोस्कोपिक सर्जरी : साइनस , टॉन्सिल और वोकल कॉर्ड से जुड़ी समस्याओं का इलाज बिना बड़े कट के किया जाएगा।
2. जीन थेरेपी और पुनर्योजी चिकित्सा
जन्मजात बहरापन और अन्य आनुवंशिक ईएनटी विकारों के इलाज के लिए जीन एडिटिंग (CRISPR तकनीक) विकसित की जा सकती है। क्षतिग्रस्त सुनने की क्षमता को ठीक करने के लिए स्टेम सेल थेरेपी पर शोध जारी है।
3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग
डायग्नोसिस में होगा सुधार : एआई आधारित स्कैनिंग और एल्गोरिदम डॉक्टरों को जल्दी और सटीक निदान में मदद करेंगे।
वॉयस और स्पीच डिसऑर्डर का इलाज : मशीन लर्निंग का उपयोग करके आवाज संबंधी विकारों के लिए व्यक्तिगत इलाज विकसित किए जा सकते हैं।
4. 3डी बायोप्रिंटिंग और इम्प्लांट्स
बायोप्रिंटिंग तकनीक से कस्टमाइज़ ईयरड्रम, नाक का कार्टिलेज और अन्य ऊतक विकसित किए जा सकते हैं।
स्मार्ट इम्प्लांट्स , जो न्यूरल नेटवर्क से जुड़कर बेहतर सुनने की सुविधा देंगे।
5. नवीन दवाएं और थेरेपी
नैनोमेडिसिन : नैनोपार्टिकल्स से बनी दवाएं संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों का टार्गेटेड इलाज कर सकेंगी।
इम्यूनोथेरेपी : गले और नाक के कैंसर के इलाज के लिए अधिक प्रभावी इम्यूनोथेरेपी विकसित की जा रही है।
6. टेलीमेडिसिन और रिमोट केयर
डिजिटल हेल्थ तकनीकों से ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में बेहतर ईएनटी देखभाल संभव होगी।
मोबाइल ऐप और स्मार्ट डिवाइसेस के जरिए घर से ही सुनने की क्षमता और साइनस की स्थिति की निगरानी की जा सकेगी।
डॉ पवन सिंघल कहते है कि ये सभी नवाचार आने वाले वर्षों में ईएनटी चिकित्सा को अधिक प्रभावी, सुविधाजनक और सुरक्षित बना सकते हैं।
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डॉ विजय शर्मा फैकल्टी इन कांफ्रेंस ने single sided beafness पर व्याख्यान दिया।
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